अभिनेयता की दृष्टि से हिंदी नाटकों का अध्ययन | Abhinaeyta Ki Drishti Se Hindi Natakon Ka Adhyyan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Abhinaeyta Ki Drishti Se Hindi Natakon Ka Adhyyan by डॉ रामकुमार वर्मा - Dr. Ramkumar Varma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ रामकुमार वर्मा - Dr. Ramkumar Varma

Add Infomation AboutDr. Ramkumar Varma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
दच्टिकौण भि धेला । साहित्य के विविषाग जव एक पाथ अपना स्वरूप प्रदर्ततित करते हैं तो थे नाटक को जनय गृहण करते हैं | कस प्रकार भाटक ४ कथा+काग्य हैषा दि कक विवारः काही नहीं ,अनिक कलावों का मी प्रदान सके साथ दी विभिन्‍न वुत्यों के रेक इक्शि देलते हैं । माटक मामवीय साहित्यिक बॉध्यों को समस्त इमतार्थौ ध प्रभ हौता है । इसी धि अपना कपना इच्छावो कवे ठेका दर्पा स्थत छोने वाला दईक नाट्य-प्रद्शन सै प्रण सन्तुश्टि प्राप्त क्ता है । दद्म) मध्यम बौर कथम इसी प्रकार के भतुर््यो कनै पाहित्यिक-जूष्याँ का बाइक नाटक वास्तव मैं सदी बे मैं छोक की वुदि का अनुकाण शौता है | श्यो है साहित्य को सर्वीगोण सफल विषा नाटक लो परिमाणा निरिचत कति हुए माट्याचायी में बहुल विषय एस सामग्री प्रस्तुत करते हुए कहा ~~ नाटक मैं कहां थम है तो कहां अर्थ है । कहीं कौथ तो कह शान्ति । कठो शाप्यहै तौ कटार | क्प कामको वणेन है तौ कर्व वव का |` ततणजन काम की बात मैं विवस्थ व्यक्ति गीति सम्बस्थी बातों मैं, सैठगण था सस्पाधि मैं, वैन मौका को बातों मै, पुर वीर जन वीपत्स, रौड़ बौर दको बातों मैं रकयौकुद जन बमास्थानी मैं और बुद्धियान छौग मी सत्व भावौ मैं सम्सुच्ट छोते ई | इस पका ए नाटक को कियाशोठता साहित्य के अन्तमैग मैं छण हित रक्ती है तथा साहित्य अपना साकाएता के हिर मटक का युहि) एकता है । दौम्य का वनिष्छ अस्तसस्वन्थ है | साहित्य यदि पुष्य है ठौ नाटक ६ होकर वृता जाट्यनेसन्मबाकृतन । हच्पावम मध्यानां गतण रं कवं वजम्‌ ।। (नाट्यला स्व)




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now