नागरी प्रचारिणी पत्रिका | Naagri Pracharini Patrika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सानस-पाठभेद (वाल कांड) १५
१।१८।६ अपि जरै पिय कंग भवानी |`
,., १,२,१,४,५१६,७,य--अपि जह;
( जप नाह )
९।१६।१ कहत बुनत ख पुभात सुडि नीके । .-. १,२,१,४.५.७-तपुकतः; ६,८-
१।१६।४ ब्रह्म जीव इव सहज वंघाती |
१।१६।८ जन मन कंज मंज्लु मघुकर से ।
१।२० तुलसी रघुबर नाम के,
बरन थिराज़ित दोउ ।
१1२१ तुलसी भीतर बाहरी जो,
१,२१।३ आनी चहहि ` गूढ गति जेऊ।
१।२१।३ नाम जौ जपि आनहि तेञ ।
1२१९४ साधक नाम जपहि लो लाए ।
१।२२ नाम वेम पीयुष हद तिन्ह किर,
१।२२,२ हमरे मत बड़ नाम दुह ते ।
१।२२३ प्रौढि पुनन जनि जानि जन की |
९।२४।५ राम खकल कुछ रावन मारा
१1२५२ सुक सनकादि खाचु मुनि जोगी ! ...
१।२५।१ जग प्रिय हरि हरि दर प्रिय आआपू ।...
१ २५।५ थेड श्रयल अनूपम गङ् ।
१।२५।७ आवत श्रजामिल गज निका ।
सुमिरत
११२११ ५४५५ दव ) है, -खम
१,२,३,५-कज मजु; ४१६१५७८
मंजु कुज
१,२, ३-विराजितः; ४,५,६,७,८-
.., विराजत
१,२,३,४-बाहरौ; ५-बहेरो ; .
६.८-बाहरहु;७ -वाहिर उ!(बादिरो)
, १,२,३,४,६-जानी; ५,७,८-जान
, १ ,२, ३,४,७-जानहि; ५--जानहि।
६, ८-जानहु
, १,२,३-लौ ; ४,५,६,द-लम ;
|
9 १,२,३-हमरे; ४,५.६.७.८-पेरे
१ $ श् 9 द स-पोषठि; दे 9 १४, ७--पौढ़
, १,२,३.--तक्रल कलः; ४,५.६७
द~-घकुल रन
१,२, २, ४, ५,७-ताष्ु; ६,८-
सिद्ध
१, र,३;४,४.,९,७-हरि; ८-इर
, १,२-थपिठ; १,४, ५, ६,७,८-
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, १,२,३,४,५.८-अपत; ६ -श्रपर
+-अपत
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