नागरी प्रचारिणी पत्रिका | Naagri Pracharini Patrika

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सानस-पाठभेद (वाल कांड) १५ १।१८।६ अपि जरै पिय कंग भवानी |` ,., १,२,१,४,५१६,७,य--अपि जह; ( जप नाह ) ९।१६।१ कहत बुनत ख पुभात सुडि नीके । .-. १,२,१,४.५.७-तपुकतः; ६,८- १।१६।४ ब्रह्म जीव इव सहज वंघाती | १।१६।८ जन मन कंज मंज्लु मघुकर से । १।२० तुलसी रघुबर नाम के, बरन थिराज़ित दोउ । १1२१ तुलसी भीतर बाहरी जो, १,२१।३ आनी चहहि ` गूढ गति जेऊ। १।२१।३ नाम जौ जपि आनहि तेञ । 1२१९४ साधक नाम जपहि लो लाए । १।२२ नाम वेम पीयुष हद तिन्ह किर, १।२२,२ हमरे मत बड़ नाम दुह ते । १।२२३ प्रौढि पुनन जनि जानि जन की | ९।२४।५ राम खकल कुछ रावन मारा १1२५२ सुक सनकादि खाचु मुनि जोगी ! ... १।२५।१ जग प्रिय हरि हरि दर प्रिय आआपू ।... १ २५।५ थेड श्रयल अनूपम गङ्‌ । १।२५।७ आवत श्रजामिल गज निका । सुमिरत ११२११ ५४५५ दव ) है, -खम १,२,३,५-कज मजु; ४१६१५७८ मंजु कुज १,२, ३-विराजितः; ४,५,६,७,८- .., विराजत १,२,३,४-बाहरौ; ५-बहेरो ; . ६.८-बाहरहु;७ -वाहिर उ!(बादिरो) , १,२,३,४,६-जानी; ५,७,८-जान , १ ,२, ३,४,७-जानहि; ५--जानहि। ६, ८-जानहु , १,२,३-लौ ; ४,५,६,द-लम ; | 9 १,२,३-हमरे; ४,५.६.७.८-पेरे १ $ श्‌ 9 द स-पोषठि; दे 9 १४, ७--पौढ़ , १,२,३.--तक्रल कलः; ४,५.६७ द~-घकुल रन १,२, २, ४, ५,७-ताष्ु; ६,८- सिद्ध १, र,३;४,४.,९,७-हरि; ८-इर , १,२-थपिठ; १,४, ५, ६,७,८- पायेउ , १,२,३,४,५.८-अपत; ६ -श्रपर +-अपत




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