बापूकी झांकिय | Bapuki Jhankiyan

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Bapuki Jhankiyan by काका कालेलकर - Kaka Kalelkar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्बाबलम्बतके तत्व पर और ९ जापूमे सौ अगदालन्दवानू गौए परदवाबूको युपा भौर पृथा -- मा रपौजिये नौर नौकर मिलकर बुर कितने आदमी है? लग थुरहें पता चला कि करीब पैठीस है तो बोडे -- मितने मौकर कया रशे जाते हई ? मित सबको छुट्ी दे देनी भाहिमे। स्वबस्थापक बेचारे शिदमूढ हो गये । जुरहें सौबे कहना चाहिये था कि इस मेक जेष अंसा नहौ ऋर सकते। भिन्त मुन्होनि देला किमि ेंड्िण ओर पियर्सल भापूके प्रस्तावभे पमे है मूरूदेवके शामाद नगीणदास गुणौ मौ मुषौ प्रमाबमे भाष्ये है भौर ग्चिर्भीतो ह्रे बस्दर। कसी भी शमी बाता शष्ट मूत पर जानीषे सषारहौ जाता है। सारा बामुमदल भुतेयित हो मुय) मैनेदेलाकिमि ग जको स्वाबषम्बनका जितना भुत्छाह्‌ महौ पा जितना कि ब्राह्मन कक रसोशियोक्रो निकाल देनेका । विश्ष-कुटुम्बमें निषषास करनेवाली जितनी बड़ी संस्पार्म पे श्राह्यन रमाभिये भपनौ सनातनी कह चलाते बे मौर किसको सपने रसोजौ-बरम पैटने महदी देते थे! छेकित हुम लोग सामाजिक या बामिक सुबारके सपष्पे प्रेरित लौ हने भे हमे तो जौगननयुषारकी हौ सयत थी। तब हुवा कि थापू विधाधियोदो शिकट्य करके पूछें कि बेसा परिवर्तन मुस्हें पपत्द है था तही। गपोकि सौकरोक्ति चले जाने पर काम तो शुत्हीौकों करता था। मि मंडे आापूगे पास आकर गहने लगे -- मोइत लाज तो तुम्हें अपनी सारी बक्यूठता काममें लागी परेमी। शडषटोमे यमौ जोसौती पीक कतो कि थे मंत्रमण्थ दो जायं । भवो तुम्हारी जिम अपील पर हो सब कुछ निर्जर है। धागूने बुक्त जबाद तडी दिया । चिद्या्ी जिक्ट्टे हुडे। हम लोग तौ साधौजीकी जौदीछी अपील सुननकी खुत्एंठासे अपना पनः हृष्य कानमे नेष बै पपे) शौर हमने पूना कया? ठडो मामूती आभाग आए जिषषुल स्पषहारकी थाएँ। न मुनर्मे कहौ अक्तूता थी नन्ही बोप! से जापुकता (ष्टापःण्थ्यः) ते अपद बौ भ बटन धूषी या कवी शीष फलमपरुति।




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