कैसे सोचें | Kaise Sochen
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.87 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कैसे सोचें १ पर भयंकर सर्दी । सोते-सोते अचानक रानी के मुंह से ये शब्द निकल पडे- वह क्या करता होगा ? सम्राट जाग रहा था । उसने सुना । इन शब्दों ने उसके रोम-रोम मे आग लगा दी। महारानी चेलना के चरित्र पर उसे गर्व था। उसने सोचा-जिस रानी पर मै इतना अधिक विश्वास करता छू वह नींद में बडबडा रही है- वह क्या करता छोगा ? हो न हो यह किसी अन्य मे आसक्त है। राजा का मन अत्यन्त सतप्त हो गंया। उसके मन में रानी के प्रति अविश्वास उत्पन्न हो गया घृणा पैदा हो गई। प्रात.काल हुआ। सम्राट अत्यन्त खिनन और उदासीन था। उसने अपने महामात्य अभयकुमार को बुलाकर कहा- मैं भगवान् महावीर को वंदन करने जा रहा हू। तुम इस महल को जला देना विलब मत करना । सम्राटू का यह आदेश सुनकर अभयकुमार अवाक् रह गया। उसने सोचा-अन्त.पुर को जला देना महारानी चेलना को किसी भी पूर्व सूचना के जलाकर खाक कर देना यह कैसा आदेश | एक ओर सम्राट श्रेणिक अपने पिता का आदेश है और दूसरी ओर महारानी चेलना अपनी माता को अपने ही हाथों जीवित जला देने का जघन्यतम अपराध । वह जानता था कि सम्राट के आदेश का उल्लंघन क्या-क्या परिणाम ला सकता है । वह असमंजस मे पड गया। सम्राट श्रेणिक महावीर के समवसरण मे पहुचा । वंदना की | सतियों का प्रसंग चल रहा था । महावीर ने सहसा कहा- महारानी चेलना सतियो मे अग्रणी है। वह धर्मनिष्ठ और सत्यनिष्ठ है। सम्राटू ने सुना । उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ । उसने महावीर से पूछा-भते। एक उलझन है| आप कह रहे हैं महारानी चेलना महासती है । कल रात को सोते-सोते उसके मुंह से ये शब्द निकले- वह क्या करता होगा? क्या ये शब्द सतीत्व के प्रतीक हैं या उसके विपरीत ? भगवान् बोले- तू नहीं जानता इन शब्दों का क्या तात्पर्य है। कल महारानी चेलना वदना करने आई थी । वंदना कर वह जिस मार्ग से महलो मे जा रही थी बीच मे वृक्ष के नीचे एक जैन मुनि ध्यान कर खडे थे। वे निर्वस्त्र थे । भयंकर सर्दी थी । रानी वहां रुकी नहीं । वदना कर चली गई। रात को वह सो रही थी । एक हाथ कंबल से बाहर रह गया । सर्दी के कारण वह जड छो गया ठिठुर गया। वह मृतवत् हो गया। रानी ने हाथ उठाना चाहा पर उठा नहीं । रानी ने सोचा-ओह । हाथ थोड़े समय के लिए सर्दी में रह गया उसकी यह दशा हो गई । वह मृतवत् हो गया जड हो गया । धन्य हैं वे मुनि जो निर्वस्त्र होकर खुले मे ध्यान करते हैं । वह बेचारा मुनि इस
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