सामुदायिक विकास और पंचायती राज | Samudayik Vikas Aur Panchayati Raaj
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
170
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हमारा श्रन्तिमि लक्ष्य ११
सकते हैं श्र उन्हें ऐसे जानदार स्त्री-पुरुषों की योजनाएं बना
सकते हैं, जो कुछ श्रहम काम कर डालने के जोश से भरे भ्रौर
प्रेरित हों । यही सवाल है । हम सही श्र लाजमी तौर पर
रुपये-पैसे श्रौर साधनों का हिसाब लगाते हैं । श्रादमी को यह
करना पड़ता है, वह मैर-जिम्मेदारी से काम नहीं कर सकता ।
मगर मैं यह कहूंगा कि ये सब कम जरूरी चीजें हैं । खास ग्रह्
मियत इनसे ताल्लुक रखनेवाले श्रादमी की है--उस शझ्रादमी
की, जिसे काम करना है; जिसे महसूस करना है श्रौर अपने सोचे
हुए को श्रमली जामा पहलाना है । कया श्राप उस तरह का
इन्सान बनाने की कोशिया करेंगे ? वेशक, इन्सान मौजूद है)
श्रापको उसके दिल श्रौर दिमाग़ को छूना-भर है । श्राप यह काम
सलाह देकर नहीं कर सकते । मेरी वात मान लीजिये, बहुत
ज्यादा सलाह मत दीजिये, काम को खुद कीजिये । दूसरों को
श्राप यही सलाह दे सकते हैं । श्राप ऐसा करें ब्रौर दूसरे भ्रापके
पीछे चले । श्राप ठेसा क्यों सोचते हैं कि श्राप विकास-श्रायुक्त
हैं, इसलिए वड़े दफ्तर में बेठना श्रौर हुक्म जारी करना श्रापका
काम है । मैं आ्रादर के साथ यह कहने की इजाजत चाहता हूं
कि झगर श्राप ऐसा सोचते हैं तो श्राप बेकार हैं । श्रच्छा होगा
कि आप श्र कहीं चले जायं शरीर कोई दूसरा काम करें । इस
चारे में हमें साफ होना चाहिए ।
कोई विकास-शायुक्त हो या प्रदासक, उसे हमेदा श्रयने
= ५
द्फ्त क यृ
दफ्तर में वेठे रहना झौर श्रादेश जारी नहीं करते रहना चाहिए ।
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