अंतगडदसा सूत्र | Antagad Dasa Sutra
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
200
श्रेणी :
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No Information available about पंडित श्री घेवरचंद जी बांठिया -pandit shri ghevarchand ji banthiya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वगं १अ. ९ ९
कन्नम् जिमि कोम चिन'
पर्वतो के समान स्थिर एवं सर्यादा-पालक तथा वलणाली
धकवृष्णि' नामके राजा थे | स्तर्यो के सभी लक्षणोसे
यक्त उनकी धारिणी नाम की रानीथी 1 वह॒ धारिणी रानी
किसी समय पुण्यात्माओं के शयन करने योग्य ओर कोमलता
आदि गुणो से युक्त शय्या पर सोई हुई थी । उस समय उसने
एक शुभ स्वप्न देखा । स्वप्न देख कर रानी जाग्रत हई । उसने
राजा के पास जा कर अपना देखा हुआ स्वप्न सुनाया । राजा
ने स्वप्न का फर बतखाया, यथासमय रानी ने एक सुन्दर वालक
को जन्म दिया । बालक का बाल्यकाल बहुत सुखपूवेक बीता ।
उसने गणित, लेख आदि वहत्तर कलाओं को सीखा । उसके
बाद युवावस्था होने पर उसका विवाह हुआ । उसका भवन
बहुत सुन्दर था ओर उसकी भोगोपभोग सामग्रियां चित्ता-
कषक थी 1 इम सव्र वातो का विस्तृत वणेन भगवती सूत्रमें
दिये महाबल कुमार के वर्णन के समान समझना चाहिए ।
अतर इतना है कि इनका नाम ' गौतम ' था + माता-पिता ने
एक ही दिन में आठ युन्दर राजकन्याओं ' के साथ इनका विवह्
कराया । विवाह में * आठ कोटिं हिरण्य (चॉदी) आठ कोटि
सुवर्ण आदि आठ-आठ वस्तुएँ इन्हे दहेज में मिली 1६॥।
तेण॑ कालेणं तेण॑ समएणं अरहा अरिट्रणेमी आइ-
गरे जाव विहूरइ । चउत्विहा देवा आगया ।-कण्हे थि
गिर्गए । तएणं से गोयमे कुमारे जहा मेह तहा णिग्गए।
धम्मं सोच्चा णिसम्म जं णवरं देवाण्प्पिया ! अम्मा-
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