अंतगडदसा सूत्र | Antagad Dasa Sutra

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Antagad Dasa Sutra by पंडित श्री घेवरचंद जी बांठिया -pandit shri ghevarchand ji banthiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वगं १अ. ९ ९ कन्नम्‌ जिमि कोम चिन' पर्वतो के समान स्थिर एवं सर्यादा-पालक तथा वलणाली धकवृष्णि' नामके राजा थे | स्तर्यो के सभी लक्षणोसे यक्त उनकी धारिणी नाम की रानीथी 1 वह॒ धारिणी रानी किसी समय पुण्यात्माओं के शयन करने योग्य ओर कोमलता आदि गुणो से युक्त शय्या पर सोई हुई थी । उस समय उसने एक शुभ स्वप्न देखा । स्वप्न देख कर रानी जाग्रत हई । उसने राजा के पास जा कर अपना देखा हुआ स्वप्न सुनाया । राजा ने स्वप्न का फर बतखाया, यथासमय रानी ने एक सुन्दर वालक को जन्म दिया । बालक का बाल्यकाल बहुत सुखपूवेक बीता । उसने गणित, लेख आदि वहत्तर कलाओं को सीखा । उसके बाद युवावस्था होने पर उसका विवाह हुआ । उसका भवन बहुत सुन्दर था ओर उसकी भोगोपभोग सामग्रियां चित्ता- कषक थी 1 इम सव्र वातो का विस्तृत वणेन भगवती सूत्रमें दिये महाबल कुमार के वर्णन के समान समझना चाहिए । अतर इतना है कि इनका नाम ' गौतम ' था + माता-पिता ने एक ही दिन में आठ युन्दर राजकन्याओं ' के साथ इनका विवह्‌ कराया । विवाह में * आठ कोटिं हिरण्य (चॉदी) आठ कोटि सुवर्ण आदि आठ-आठ वस्तुएँ इन्हे दहेज में मिली 1६॥। तेण॑ कालेणं तेण॑ समएणं अरहा अरिट्रणेमी आइ- गरे जाव विहूरइ । चउत्विहा देवा आगया ।-कण्हे थि गिर्गए । तएणं से गोयमे कुमारे जहा मेह तहा णिग्गए। धम्मं सोच्चा णिसम्म जं णवरं देवाण्प्पिया ! अम्मा-




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