पञ्चदश लोकभाषा निबंधावली | Panchdash Lokbhasha Nibandhavali

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Panchdash Lokbhasha Nibandhavali by पाण्डेय लोचन प्रसाद - Pandey Lochan Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हू दस चामत्कारिक भाषा, श्र सजीव चित्रण इनकी विशेषताएँ हैं । रोज? “यात्री”, व्यासः श्रीयोगानन्दा प्रभृति मत दशक के प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं. इन्होंने सामाजिक जीवन के निकटतम पहलू दिखलाने की चेष्ट की है | गल्पलेखकों में “विद्यातिन्धु, रोज, किरण, (युवनः, “सुमनः तथा धव्या उल्लेखनीय कलाकार हैं । श्रीदरिमोहनका हास्य-रस की अत्यन्त“ हृदयग्राही कहानियाँ लिखते है । इनके व्य॑ग्य की कटुता कभी-कमी श्रप्रिय हो जती है। श्रीगंगानन्दर्सिह, नयेन्द्रकमर, श्रीमनमोहन का, श्रीउसानाथभा दर श्रीउपेन्द्रनाथका हमारे उच्च श्रेणी के कहानीकार हैं । रमाकर, शेखर, यात्री श्र अमर कल्पनाशील कहानियाँ लिखते हैं | निवन्ध के स्वरूप आदि में देशोन्नति की भावना व्याप्त है) सुरलीधरभा, रामभद्र फा, श्रीगंगानन्दसिह, मुवनजी, त्रिलोचनका, चेतनाथम्ा, उमेशमिश्र, व्रलदेवमिश्र प्रभृति गम्भीर लेख लिखते हैँ । भाषा श्रौर . साहित्य पर लिखनेवालों में महावेयाकरणु श्रीदीनवन्धुमा, डोक्टर श्रीसुभद्र फा, डा० श्रीजयकान्तमिश्र, श्रीगंगानन्दसिंह, श्रीगंगापति- सिंह, श्रीनरेन्द्रनाथदास प्रभुति श्रग्रगण्य हैं । दाशंनिक ग्य श्रीह्तेमधारीसिंह, सरः धर गंगानाथ भा आदि ने लिखा हैं | मेथिली भाषा में बडुत-से व्याकरण लिखे गये हैं, किन्तु महावेयाकरण पं० श्रींदीनबन्धु- का द्वारा रचित मिथ्लि-मापा-विद्योतनः, नाम का सूत्र तथा माष्यरूप में विद्यमान सर्वा्गपूरं ग्रन्थ के समान व्याकरण प्रायः आधुनिक किसी भी मापा में नहीं है । हेमचन्द्र- रचित प्राकृत व्याकरण के पश्चात्‌ प्रायः यही एक ग्रन्थ व्याकरण के महत्त्व को दिखलाने- वाला भाषा में है | आधुनिक मेथिली काव्य की दो मुख्य धाराएँ हैं--एक प्राचीनतावादी श्रौर दसरी नर्वीनतावादी ।. प्राचीनतावादी कवि महाकाव्य, खरण्डकाव्य, परम्परागत गीति काव्य मुक्तक काव्य आदि लिखते है। इनमें मुख्य कवि चन्दाक्ा, विन्ध्यनाथमरा, गणनाथसा मी जावनका, रघुनन्दनदास, लालदास,; बदरीनाथभा, दत्तबन्धु, सीतारामभका श्रौर ऋद्धिनाथस्ा, जीवनाथभ्नाः काशीकान्तमिश्र “मधुपः श्रादि हैं। नवीन धारा में देशभक्ति का कव्य, ग्राषुनिक गौति-काव्य, वणनात्मक चरर हास्थात्सक काव्यं गिनाये जा सकते हैं । इनमें क्रमशः यदुवर श्रौर राघवाचाय, सुवन सुमन, दशनाथ, मधुप, मोहन, यात्री. अमर अरर हरिमोहना श्रग्रगस्य कषे जा सकते हे | नायक की पुरानी परम्परा: समाप्त हो गई हैं श्र जीवनभका ने प्रचुर श्राघुनिक गद्य का समावेश कर नवीन नाटक की नींव डाली है। खुनन्दनदास, श्रानन्दभा और रशनाथ का के नाटकों का स्थान आधुनिक काल में महत्त्वपूर्ण है। इधर एकांकी नायको का विशेष प्रचार श्रा इनके लेखकों में तन््रनाथभा ग्रौर हरिमोहनमा तथा हरिश्चन्द्र सा आदि के नाम प्रमुख हैं | न माथला साहित्य का प्राचीन ग्रोर मध्यकाल मारतवर्ष के किसी मी साहित्य से कम महत्त्वपूणा ओर परिपक्व नहीं है । श्राघुनिक काल में मंथिली को जो संघ बँगला और हिन्दी के प




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