दक्खिनी का पद्य और गद्य | Dakkhini Ka Padya Aur Gadya
श्रेणी : साहित्य / Literature
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
538
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उत्तरी उद का बोलबाला दहृथ्रा, दक्खिनी की साहित्यिक मयादा धीरे-धीरे
नष्ट हो गई।
इघर दक्स्नी साहित्य के पुनरुद्धार के लिए. कुछ प्रयत्न किये गए हैं ।
दक्सखिन के कुछ मुसलमान साहिच्यिकों आर साहित्य-प्रेमी सज्जनों का ध्यान
रोर गया है ! इन साटिव्स सेपियों में नासिरुद्दीन हाशमी, डाक्टर सेयद
मुददीउद्दीन क्रादरी “ज़ोर श्रार श्रध्यापक श्री श्रब्दुल क्राटिर सर्वरी प्रभ्नति के
नाम चिरस्मरणीय रहेंगे । कुछ वर्ष हर् (नागरी प्रचारिणी पत्रिकाः मं
श्री बजरत्नदास ने टक्सिनी साहित्य के श्रनमोल रन्नासे हिन्दी पाठकों का
प्रथम परिचय कराया था । इंग्लैगड में स्वर्गीय डाक्टर टी. य्रदेम बेली ने भी
द क्लिनी सादित पर काफी प्रकाश डाला था । इस विपय पर डाक्टर बाबुराम
सक्सेना की एक उपयोगी पुस्तक भी हमार सामने मेंजुद है |
हिन्दी प्रचार सभा हैदराबाद तथा इदारे श्दवियात उद् हैदराबाद के
संयुक्त प्रयत्नों से एक दक्खिनी प्रकाशन सपतिति बनी हैं। इस समिति की
योर से दक्यिनी की कुछ श्रष्ठतम रचनाएँ नागरी में प्रशशित की जाएँगी |
हिन्दी संसार के लिए तथा उदु के श्रतिरिक्त श्रन्य भारतीय माषाश्रो
के साहित्यिकों के लिए, दक्खिनी साहित्य के पुनरुद्धार के सिलसिले में
श्री श्रीराम शर्मा की यह पुस्तक विशेष लामदायक सिद्ध होगी । जत्र तक
दक्खिनी प्रकाशन समिति के द्वारा ्रारब्ध व्रृहत्तर श्रायोजन पूरा न होगा,
तत्र तक एसी एक पुस्तक की विशेष आवश्यकता थी । श्ानन्द दौर सन्तोष
की बात यह है कि श्री श्रीराम शर्मा ने इस श्रभाव की पर्ति के लिए इस
पुस्तक का संकलन श्र प्रकाशन किया है । हम लोग इसके लिए श्री शर्मा
्यौर हिन्दी प्रचार सभा हैदराबाद के श्ाभारी हैं ।
पुस्तक श्रच्छी रीति से तैयार की गई है, किन्तु में संकलनकार से सभी
चाता मं सहमत नहीं हूँ । जसे कान्हपा ( कणइप्पा लिख कर इन्हें एक दक्खिनी
द्राविडी नाम टिया गया है ) के सम्बन्ध में । कान्हपा ने टो प्रकार की भाषाओं
का प्रयोग किया था-एक पुरानी बंगला ( जिसे उड़िया तथा झसमिया लोग
पुरानी उड़िया श्र पुरानी झसमिया भी कहेंगे श्र जिसे मैथिलों ने भी
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