नामए - हरम | Namae - Haram
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
272
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)महिलाश्रोकी शादइरी--श्रस्तर १७
इधर तही है सुबू, उस तरफ़ तदी सागर!
वह ॒बादा-रेज़िए-महफ़िल्की _ सुबहो-शाम कहाँ ?
मिटे हुएसे हैं कुछ नक्रो-र्पौ ज़रूर मगर
रहे - तख्वमे ` वह॒ याराने - तेज़गाम' कहाँ !
नवाए -वंक्तं बहुत गुरफ्रिशोँ सही ठेकिन
वह॒जाँ नवाज़ मुहब्बत अदा, पयामं कहँ !
रामीमे-शामे-सुहब्बतको ˆ क्या कर 'अह्तरः !
नसीमे-पुबहे-तमन्नाका वह॒ खराम'' काँ १
गरजख
जिसमे सषरे - दर्द - गमे - आरिक्री ` नहीं
वोह जिन्दगी, तो मौत है, वोह ज़िन्दगी नहीं
जिसमे बराए - रास्त * हो उनसे मुजामला
वल्छाह ! ऐन होश है, वोह बेखुदी नहीं
क खने-अन्दरीवके * दमसे थी सब बहार
पूरो अव वोह रंग नहीं, दिलकशी ` नहीं
१. सदिराका घडा खारी ह, २ मदिराका प्याखा रिक्त है,
३. मदिरा-पानसे परिपूर्ण, ४ चरणचिह्ल, ५ प्रेम-मार्गमे, ६ गीघ्रनामी,
७ समयका गीत, ८ सुहावना, ९. जीवन-सचारक प्रेम-सन्देग, १०. सन्ध्या
कालीन सुगन्धको, ११ आदा रूपी प्रात काटीन चाक, १२ प्रेम व्यथाओ-
का नशा, १३ सीधा सम्बन्ध, १४ वेहोगी, १५ वुलवबुलके बलिदानके,
१६ आकर्पण ।
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