कालिदास और भवभूति | Kalidas Aur Bhavabhuti

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Kalidas Aur Bhavabhuti by बाबू द्विजेन्द्रलाल राय - Babu Dwijendralal Ray

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about बाबू द्विजेन्द्रलाल राय - Babu Dwijendralal Ray

Add Infomation AboutBabu Dwijendralal Ray

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
११ कर तो मानों द्विजेन्द्र फड़क उठे दें । वे स्वयं कहते दें-” मुझे ऐसी आशा नथी कि कई इजार वर्ष पढ़ले ऐसी बातें किसी नारी के मुखसे सुननेको मिलेंगी । सोचनेसे शरीर पुलकित हो उठता है, रुधिर गर्म हो जाता है और ग्से छाती फूछ जाती दे कि उस आर्षयुगमें हमारे ही देशमें एक कविने सतीत्व के इस तेज, भात्माभिमान ओर मदत्वकी ऐसी कल्पना की थी ।”” द्विजेन्दबाबू कुछ नवीन सुधारके पक्षपाती और उत्कट देशभक्त दोनेके कारण सीताकी उतनी सदहनशीरुता नदीं सह सके हैं । परन्तु यदि वे कट्टर हिन्बू होते तो भवभूतिके सीता-राम उन्हें अवश्य पसन्द आते । यद्द बात समझ रखनेकी है कि हमारे स्वाधीन विचार चाहे जो कुछ हो, पर सीता-राम कड़र हिन्दुओंकी सम्पत्ति हैं । भवभूतिके राम और सीताके लिए जो द्विजेन्द्रबाबूकी सम्मति है, में उसमें #द्दीं हूँ । वाल्मीक ऋषिने रामको मर्यादा-पुरुषोत्तम मानकर किया दे । उन्दने उनके ओर सीताके चरितरम उत्कृष्ट मानव-दम्पत्तिके अदर्शं जीवनका उवलन्त चित्र खींचा है। परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि भवभूतिके कालमें राम लोकोत्तर परम पुरुष भौर शैदवरावतार माने आने लगे थे और भवभूति भी अवदय उनको वेसा ही माननेवले थे । यही कारण है के उन्होंने अपने वर्णनके लिए रामकी कथाका वही भाग चुना है जो सर्वथा अगनुकरणीय और लोकोत्तर था। जो इतना ऊँचा दे कि दीख सकता है, इदयको प्रकाशित और भाकर्षित कर सकता है, पर छुआ नहीं जा सकता । संसारका कोई पुरुष यदि रामका भनुकरण करे तो यहाँ तक दी कर सकता है। सम्भव है कि वह बचपनमें क्षात्रधर्म दिखा कर राक्षसोंको त्रास दे बंफे, भारी धनुष तोड़ सके, पिताकी आश्ञासे राज्यको लात मार सके भौर दुर्ध रावण जेसे शत्रुके दौत खट्टे कर सके । यहाँ तक रामके खरित्रमें वीरता, क्षमता, ष्य, शान्ति ओर ओजका चमत्कार दे--वे यश तक भादी राजकुमार, आददा पुत्र, भादरी पति हैं। कोई भी महान्‌ पुरुष इन चरिन्नोंका अनुकरण कर सकता दे । ये वास्तवमें सानवचरित्र हैं । परश्वु सीतस्यागका चरित्र मानवचरित्रसे परे दे । भवभूतिने राम और सीताको मानब-चरित्रसे परे ही समझकर उस पर कवित्व किया है । कोई भी महान्‌




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now