भीष्म | Bhishma

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Bhishma by पं. रूपनारायण पाण्डेय - Pt. Roopnarayan Pandeyबाबू द्विजेन्द्रलाल राय - Babu Dwijendralal Ray

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पं. रूपनारायण पाण्डेय - Pt. Roopnarayan Pandey

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बाबू द्विजेन्द्रलाल राय - Babu Dwijendralal Ray

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हृदय । ] पहला अंक । ७ घीवर--हों कुछ भी नहीं लगा | १ धीचर--चछो, घर छोट चलें | २ धीवर----चठछो | १ धीवरे---अच्छा क्योंजी, यह रात है या दिन २ धीवर--रात है । १ धीवर--तो फिर झँवेरा क्यों नहीं ই £ २ धीवर--देखते नहीं, चोद निकला है | १ धीवर---ठीक है | ठेकिन यह चद कैसा भवानक है --- मानो जल रहा है | २ धीवर--सच कहते हो [ओह इसकी ओर तो देखा नदीं जाता | १ धीवर---अच्छा, बताओ भाई, चँदसे अधिक उपकार होता है, या सूर्ते अधिक उपकार होता है ? २ धीवर---सूर्यसे । १ धीवर---ेरे दूर हो ! २ धीवर--क्यों ? १ घीवर---चौंदसे अधिक उपकार होता है। २ धीवर--कैसे ! १ धीवर--अरे देखते नहीं हो भाई चौद न दोतातो वडा विकट अँधेरा होता | चाँद ही तो अँधेरी रातमें उजियाछा करता है। २ धीवर---ओर सूर्य £ १ धीवर---वह तो दिचको उजियाछा करता है । दिनकों तो सूर्यकी जरूरत ही नहीं है | २ धीवर--तुमने तो खूब सोचा ।




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