लिली | Lili
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
143
श्रेणी :
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No Information available about श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' - Shri Suryakant Tripathi 'Nirala'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१८ लिली
, ज्ञी 1 छोटा चिलम रखकर दौड़ा ।
“जज साहब से मेरा नाम लेकर कना, जल्द
चुज्ञाया हे 1
“और मैया बाबू को भी बुला लाऊँ १
“'नहीं-नहीं ।” रमेश्वरजी की पल्ली ने डटि दिया ।
(५)
जज साहब पुत्र के साथ बैठे हृए वातीलाप कर रहे थे ।
इँगलेंड फे मागे, रहन-घहनः, भोजन-पार, अद्ब-कायदे का
बयान कर रहे थे ! इसी समय छीटा बंगले पर दाज्धिर हुआ,
आर सुककर सलाम किया । जज साइब ने आँख उठाकर
पूा--'केसे आए छीटाराम ?”
“हुजूर को सरकार ने बुलाया हे; श्र कहा है, बहुत जल्द
दाने के लिये. कहना ।”
“प्क्यों ??”
` न्बौबी रानी बीमार हैं, डॉक्टर साहर श्राए थे, श्नौर
हुूर...” बाक़ी छीटा ने कह दी डाला था ।
“बोर क्या ?”
हु्षर...” छीटा ने दाथ जोड़ लिए । उसकी आँखें डब-
डवा आह ।
' जज साहब बीमारी कड़ी समककर घबरा गए । डाइवर को
बुन्ाया । छीटा चल दिया । डाइवर नदी था । जज साष्टव ने राजेंद्र
से कहा-- जाश्रो, माटर ज्ञे भारो । चले, देखं क्या बात है ॥»
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