बहती रेता | 1395 Bahati Reta (1955)
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
328
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तन्शिला विश्वविद्यालय १३
मानुमित्र विश्वविद्यालय फे वसन्तोत्सव क त्रवसर पर पहुँचा था ओर
पहले ही दिन उसने मल्लिका को श्रपने देश का गीत सुनते देखा था |
तव ही उसके मन म इस मधुरभाषी कोकिल-करण्टी बालिका ने स्थान घना
लिया था । इस पर भी प्रथम मैंट तत्र हुई, जब भावमित्र को विश्वविद्यालय
म श्रये दो वं व्यतीत हो चुके थे श्रौर उसने वसन्तोत्सव पर, मारत की
राजनीति में परिवर्तन पर अपना लेख पढ़ा था । उस लेख में उसने चीन,
मंगोल तथा यवन देशों में '्वल रही राजनीतिक प्रगति का वर्णन कर, भारत-
वर्ष में श्रराष्ट्रीयता के बढ़ने के कारणों का विश्लेषण किया । यह सब वर्णन
. इतनी स्पष्ट तथा सरल भाषा में किया गया था कि इस विषय में रुचि न
रखने वाले लोग भी मली मति समम रहे थे आर भायुमित्र के कथन
की सत्यता को श्रदुमव कर रहे थे |
इस लेख के पढ़ने के समय बाहर के कुछ दशक भी उपस्थित थे ।
वैशाली का गणपति देवधमां मी तीर्थाटन करता हुश्रा तक्तशिला में पहुँचा
हुआ था। वह इस बालक को गणुराज्यों की बुटियाँ इतनी स्पष्टता से
बताता सुन, बालक के शान पर चकित रह गया था | उसने लेख समाप्त होने
पर आगे आ, मानुमित्र को गले लगाया श्रौर श्रपने गले की मुक्तामाला
उतारकर उसे पहिना दी । पश्चात् श्राचाय की आज्ञा से भानुमित्र की
योग्यता की प्रशंसा करते हुए उसे शिक्षा समास कर वैशाली श्राने का
निमनत्रण दे दिया |
समारोहं के पश्चात् मल्लिका ने भावुमित्र से मैट की | वह इस भेट
को श्रपनी विजय मानता था श्र इसके पश्चात् दोनों में कई बार मेंट हुई ।
फिर दोनों में प्रेम हो गया श्रौर वे प्रायः मिलने लगे ] ज्र भी भाघुमित्र तथा
मल्लिका के माता-पिता आते तो दोनों की उनसे मेंट होंने लगी । यद्यपि
कोई वात कही नहीं गई थी, तो भी दोनों परिवार यह समकने लगे थे कि
गान्थार को सुन्दरी काश्मीर में व्याही जावेगी ।
मल्लिका के पिता का, जो गान्धार देश का. एक भारी सौदागर था,
देहान्त हो चुका था | परन्तु उसका एक माई था, जो श्रपने देश के मेवे श्रौर
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