रसत रंगीनी | Rasat Rangini
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
392
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दवितीयस्तस्ड्ः
, पारेभापालक्षणम्।
रनगूठा नुझ्नलशाक़सान्द्ग्घाथप्रदापेका 1
खुनिश्चिताथा {चचुचः पारभाषा 'चगदयत ॥२ौ
खवखणपञ्कम्
सेन्धवश्चाथ सासुद्धं विडं सोवचंरं तथा 1
सेमकश्चेति विज्ञेयं बुधेबणपश्चकम् ॥२॥
रुवणात्रकम् ।
सिन्धु र्य कं पाक्यमेतत् चिख्वसं स्यतम् ।
प्रकीरतिंतश्च खवणतनिकं वा रखवण्रयम् ॥४॥
सेन्धवस्य भुख्यरवस्।
तत्रापि सेन्धवे सख्यं विद्धद्धिः परिकीतितम् !
उक्ते कवणसामान्ये सैन्धवं चिनियोजयेत् ॥५॥
क्षारद्य क्षारन्निकन्च ।
स्वजिक्षारो यचक्तारः क्षार दयसुदाहतम् ।
सोभाग्येन समायुक्त त्तारत्रिकमुदाहतम् ॥६॥
शार,
सुप्कझारो यवक्षारः किंशुकक्षार एच च 1
स्वजिं्तारस्तिलच्तारः क्तारपश्नकसुच्यते ॥9॥
क्षाराएकम्
सुधापलादशिखरिचिश्वार्कति लचालजाः ।
स्वजिका याचशक्श्र ्ाराइकमुदाइतम् ॥८॥
मूत्रा्टकम्।
सेरिभाजाविकरभगोखरद्धिपवाजिनाम् ।
मूजाणीति भिपण्वयेमूत्राणएकसुदाहतम् ॥६॥
खरेभोष्ट् तुरङ्गाणां पुंसां मूत्र प्रशस्यते ।
गोजाविमदिषीणश्च सूनं खशां हितं मत्तम् ॥१०॥
स्पष्टम् ॥२॥
विढसोवर्चङे कृत्रिमे ॥२॥
-रूचकं सौवर्चलम्, पाक्यं विदम् ॥४ा
स॒ख्यं नेन्य्वाद् वहुगुणवत्वाच्च ॥५॥
किंञुकक्षार: पलाशक्षार: ॥ द-७ ॥
सुधा स्नुद्दी, शिखरी 'झपामार्ग: ॥5॥
खेरिमी महिपी, करभः उष्ट; हिपः हस्ती ।॥९-११॥
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