श्रीजैनसिद्धांत प्रवेशिका | Shrijainsiddhantapraveshika
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
200
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महामहोपाध्याय राय बहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा - Mahamahopadhyaya Rai Bahadur Pandit Gaurishankar Hirachand Ojha
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १५ )
६७ उपनय किसको कहते हें ?
६७ पृक्ष ओर साधनम दष्टान्तकी सदशता दि-
खानेको उपनय कहते हँ । जैसे- यह परमत भी वैसा
ही धूमवान है ।
६८ निगमन किसको कहते हैं !
६८ नतीजा निकारकर प्रतिक्ञके दौहरानेको नि-
गमन कहते हैं। जैसे-इसलिये यह पर्वत भी अथिवान है ।
६९ हेतुके कितने भेद हैं ?
६९ तीन है- केवलान्वयी, केवकन्यतिरेकी, जन्वय-
व्यतिरेकी ।
७० केवरान्वयी हेतु किसको कहते हे ?
७० जिस हेतुमें सिफे अन्वयदृष्टान्त हो । जैसे-जीव
अनेकान्तखरूप है । क्योंकि सत्खरूप है। जो जो स-
त्वरूपम होता है, वह २ अनेकान्तखरूप होता है । जेसै-
पुद्धलादिक ।
७१ केवर्व्यतिरेकी हेतु किसको कहते हे ?
७१ जिसमें सिर्फ व्यतिरेक दृष्टांत पाया जावे जैसें-
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