बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी की हिन्दी में पी - एच॰ डी॰ उपाधि हेतु प्रस्तुत विस्तृत रूपरेखा | Bundelkhand Viswavidyalay Jhansi Ki Hindi Me Phd Upadhi Hetu Prastut Vistrit Rooparekha
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
166 MB
कुल पष्ठ :
241
श्रेणी :
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No Information available about डॉ. दिनेश चन्द्र द्विवेदी - Dr. Dinesh Chandra Dwivedi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वेदार्थादधिकं मनये, पुराणार्थ वरानने
वेदाः प्रतिष्ठिताः सर्वे पुराणे नात्र संज्ञम: 11
पुराण के पांच लक्षण विविध पुराणों विशेषकर वायु, ब्रह्मण्य,
विष्णु, वामन, कुर्मादि पुराणों में प्राप्त होते हैं। किरफल की कृति “डास
पुराण पंचलक्षण' एवं पाजीटर का एनिसिएण्ट इण्डियन हिंस्टारिकल
द्रोडशंत भी पंचलक्षण को ही मार्गदर्शन मानकर अपना शोध प्रस्तुत
करता हे “ पंचलक्षण निर्देशक श्लोक अधोप्रस्तुत है-
सर्गश्च प्रतिसर्गश्च वंशो मन्वन्तराणि च|
वंशानुचरितं चैत पुराणं पफंचलक्षणम् | |“
अर्थात सर्ग (सृष्टि) प्रतिसर्गं (प्रलय ओर उसके बाद की
सृष्टि) वंश-वर्णन, मन्वन्तर वर्णन ओर वंशानुचरित(सूर्य, चन्द्र, कश्यप,
दक्ष आदि के वंशो का सम्यक् निरुपण) पंचलक्षण कहलाता हे |
भविष्य पुराण के अतिरिक्तं पंचलक्षणात्मक श्लोक विष्णु पुराण के
3८64८24), मत्स्य पुराण (63.८64), माकण्डय पुराण (137 / 13), देवी
भागवत पुराण (८2८18), शिवपुराण वायवीय संहिता (८14),
अग्निपुराण ८14), ब्रह्मवैवर्त पुराण (131८6), स्कन्दपुराण प्रभासखण्ड
284) ओर ब्रह्माण्ड पुराण पूर्वं भाग (138), में भी समान रूप से प्राप्त
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