डॉ. हरिवंशराय बच्चन के साहित्य में आत्माभिव्यक्ति | Dr Harivansh Rai Bachchan Ke Shitya Me Atmabhivykti

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Dr Harivansh Rai Bachchan Ke Shitya Me Atmabhivykti  by डॉ. दिनेश चन्द्र द्विवेदी - Dr. Dinesh Chandra Dwivedi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ. दिनेश चन्द्र द्विवेदी - Dr. Dinesh Chandra Dwivedi

Add Infomation About. Dr. Dinesh Chandra Dwivedi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
कवितायें रची | अनुभूति के क्षेत्र में नारी अधरों में मिलन-विछोह की परिधितक ही सीमित न नहीं रखा वरन्‌ जन-सामान्य की मानसिकता के स्तर पर मूर्त कर उसमें भावनात्मक गहनता ः एवं व्यक्ति परक अन्य बौद्धिक तत्वों का भी समावेश किया । दे :ललउसससधतसयंतरिवसािसतधातकन बच्चन जी का सृजन संसार नस्ससावदशाक असक बच्चन प्रमुखतया तो कवि उनकी रचनायें काव्य रूप से ही ओतप्रोत हैं का ही उनका जीवन ध्येय है । उनका काव्य, करूणा-मिलन, वेदना-पीड़ा आदि भावों से भरपूर रहस्यात्मक अनुभूति लिये हुए, प्रतीत होता है। हृदय के कोमल भाव लेखनी के माध्यम से साहित्य में फेल गये हैं। अपनी काव्यकृतियों के माध्यम से एक असाधारण माधुर्य एवं सहजभाव का समावेश किया है में दो प्रकार की रचनायें होती हैं : प्रथम करियत्री प्रतिभा एवं द्वतीय भावयत्री प्रतिभा । इसी भावयत्री प्रतिभा बच्चन जी के काव्य में यत्र-तत्र दृष्टिगत होती है। “निशा निमंत्रण' के भाव साहित्य जगत में रचना को अमर कर देते हैं काव्य के अतिरिक्त.बच्चन ने गद्य लेखन में भी अपनी लेखनी चलायी है। अपने साहित्य .......... : जीवन के प्रारम्भ में वे कहानियां भी लिखते थे। पत्र, संस्मरण, निबन्ध पर भी उनकी कलम .......... से निकले हैं जहां पद्च में 'मधुशाला' पाठकों के हृदय पर एक भावनामयी पूर्ण गीतकार की ....... छाप अंकित किये थी वहीं गद्य लेखन में आत्मकथा में उनकी गद्यशैली, भाषा का प्रवाह एवं : .' -'गद्यात्मक तारतम्यता दृष्टिगत होती है। उनकी आत्मकथा को हजारी प्रसाद द्विवेदी जैसे महान्‌ गद्य -लेखक ने “युगों की अविस्मरणीय घटना' तक कह डाला काव्यकृतियां अर कायाय्ंससंदरांशकस्तसकरमशवडन असाकसकसव्टसयादस्कसासरससाशप्वार ........... तेरा हार, मधुशाला, खैयाम की मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, निशा निमंत्रण एकांत संगीत, आकूल अन्तर ये कृतियां बच्चन के साहित्य जीवन के आरम्भ की हैं एवं रम्मिक रचनायें तीन भागों में प्रकाशित हुई है। हलाहल, बंगाल का काल, खादी में फूल सूत की माला, मिलन यामिनी, सोपान, प्रणय पत्रिका, धार के, आरती और अंगारे, बुद्ध और नाचघर, त्रिभंगिमा, दो चट्टाने, बहुत दिन बीते, उभरते प्रतिमानों रूप जाल समेटा, नई कतियों में अगाध से नई पुरानी से पुरानी आदि बच्चन की काव्य कृतियां हैं इनकी काव्य संवेदनशीलंता, बिम्बात्मक रूपायन एवं भाव प्रवणता है|




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now