आदर्श निबंध माला | Adarsh Nibandh Mala

Adarsh Nibandh Mala by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
क्तेव्य-पालन श्दे व्यक्ति सब लोगों के दृदय पर श्रपना श्रधिकार जमा लेता है । फर्तव्य- निष्ठ व्यक्ति का सर्वत्र श्रादर होता हे । व समाज फी / श्रादर श्र शद्धा की वस्तु बन लाता है । समान उसके श्रात्वरण का श्रनुकरण फरता हे | कर्तव्यनिष्ठ प्राणी श्रपना श्रौर श्रापने पारघार का तों सुख उडनवल करता ही हैं किन्तु समान श्रीौर राष्ट्र भी उससे शोभा पाते हैं श्रौर उसके तदनुवूल श्राचरण कर उन्नति के पथ के श्रनुगामी घनते हैं। कर्मचीर लोक में तो यश श्र कीर्ति उपलब्ध करता दी है 'साथ दी परलाक में शान्ति प्राप्त कम्ता है । ससार उसकी पूजा कर्ता है। इतिहास ऐसे मद्दापुरुपों के जीवन को लिखकर श्रपने को घन्य समझता दे। कतेव्यनिष्ठ व्यक्ति का लखन यद्यपि प्रकट में बड़ा सझझुटावीर्ण मालूम होता है क्न्तु चास्तव में उसके हृदय में श्रानन्ट की तरमें लहरें मारती रहती हैं । क्तव्यनिष्ठ व्यक्ति सफलता प्राप्त कर लेने पर धर्पित नहीं देता वेसे ही'विफल दोने पर वद्द व्यथित नहीं देखो जाता | क्मबीर कमी यकता श्रौर विश्राम लेना तो जानता दी नहीं । बढ सरैव उन्नति की स ढी पर चढ़ता टुश्रा ही दष्टिगोचर होता दे । व विष्न बाधाश्यों की किचित चिन्ता नहीं करता | बर्सव्य-पोलन करने हो में चघह सच्चा सेवा देखता दे उसी में उसको सगवान की सच्ची विभूति दिखलाई पढ़ती है । इय्ली के विसवियत नामी ज्वालामुखी पद्ाढ़ के फटने,पर नगर के सय स्त्री पुरुप तो भाग गये, , परन्तु -एक, दार-रन्तक सन्तरी ने श्रपना स्थान नहीं छोड़ा । बद्द पहरे पर बिना दूसरे सन्तरी के श्राये कैसे इय्ता ? चह्द द्रपने ,कतंच्य पालन पर घह्दीं डय रहा और वहीं इसने श्रापने प्राण चिसर्जित किये । फिर भला ससार में ऐसा बीन:. व्यक्ति शोगा जो ऐसे




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now