शिशु - पालन | Shishu Paalan

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Shishu Paalan by डॉ. मुकुंद स्वरुप वर्मा - Dr Mukund Swarup Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( हुए ) दिषय का पूरा अनुसंधान किया गया त्यों व्ये यदी निश्चयः मालुम दाता दे कि बाल-खत्यु का सूल कारणु कंगाली है | घनवानें के बच्चों को यदि किसी प्रकार का कष्ट: होता है ता उनका तुरंत ही एक उत्तम डाकूर शान कर देखता है. दार अधिक से अधिक मूल्य की श्राषधि उनके प्रयोग के लिये लाई जाती है, किन्तु निधन लोगों के बच्चे बीमार पड़ने पर भी किसी प्रकार की उत्तम सद्दायता नहीं पा सकते । उनके पास इतना धन नहीं है दि: वे एक डाक्टर को बुला कर उसकी फीस दे सकें श्लार श्राषधि के खरसीद्‌ खकः | वह इधर उधर के लोगों ने जा बताया वही दवा देते हैं जिससे लाभ के. स्थानम बहधा हानि हा जाती है। श्रावश्यकता पड़ने पर धाय का प्रबंध करना उनके लिये झसं भव है । हां वे लोग किसी धच्छे श्रस्पताल मेँ श्रवश्य जा सकते हैं । किंतु झस्प- ताल में चिकित्सा द्ोना श्रार घर पर उत्तम चिकित्सा के प्रबंध देने में बड़ा झंतर दे । निधन यूदद में स्वच्छता का रद्दना भी बहुत कठिन है । बच्चों का शुद्ध उत्तम दूध की बहुत श्रावश्यकता रक्ती ` हे । उनका स्वास्थ्य दुध पर बहुत कुद निर्भर करता है । किंतु गरीब बच्चों के लिये दूध दुलेभ है । हां गाँवों में ते झवश्य वच्चो के दुध मिलना कठिन नदीं हाता क्यांकि वहां प्रत्येक मजुष्य के एक या दे गाय भेंस श्रवश्य देती दहै किन्तु नगरों में तो दूध का स्वप्न करना भी उनके लिये दुस्तर दे । तत्र वे




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