मानव - शरीर - रहस्य भाग - २ | Manav -sharir - Rahasya Vol. - Ii

Manav -sharir - Rahasya Vol. - Ii by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वृक्त छोर उसका काये 1 आंतरिक रचना--दइकक को यदि 'हम :फिसी तेज प्वाक्न से लबाई, की झोर दो समान सागों में काट दें, तो 'उप्तकी झातरिक रचना हमको दिखाहे देगी । यह बढ़ीं ही : विचित्र है । वस्तुत' चुक बहुत वारोक नलियों का एक समृूद्द दै । ,ये नलियाँ एकत्रित होकर एक विशेष रूप धारण कर लेती हैं । चूक के जो दो भाग हैं, ने इन नल्ियों के सिन्न-सिन्न सागों से, बने हैं । यूक्क सें दो भाग दिखाई देते हैं ; एक मध्यस्थ और दूखरा मांतस्थ । मध्यस्थ भा! बोच में रहता है और उसका रंग गहरा बेंगनों होता है । प्रॉतस्थ भाग बाहर की शोर रहता है श्रौर, उसका रंग इलका बेंगनी होता, है । कि चित्र, ० १श८--वृक्क का लंबाई का परिच्छेद हू हद रा टरलिप हर कि रे मो थी 2 हर हर छर । चित्र सें मीनारें श्र मूत्-नलिकाष्यों के भाग दिखाए हैं, जिनमें होकर मुत्र मुख्य प्रयाल्ती में पहुँ चता. है 1 २९७८ च्क श्




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