समाधितंत्र प्रवचन भाग २ | Samadhi Tatra Pravachan Vol. - Ii
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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No Information available about जयंतीप्रसाद जैन - Jayantiprasad Jain
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)~ दोहा ३० १३
किं समस्त इन्दर्योको संयत करे, वश करे। पंचेन्द्रियकं विषयोमे यहं
सारा जगत् विपन्न हो रहा है । दि
, स्पशंनेन्द्रियविषयका परि गाम- देखो एक स्पशंनर मात्रके विषयका
लोभी बनकर हाथी जैसा विशाल बलवान् जानवर मवुष्यके वश हो जातां
है। हाथी पकड़ने बाले लोग जंगलमें गड्ढा खोदते है, डस गड्ढे पर
` बांसकी पंचं विकर उसपर एक इन्दर् मूटी हथिनी बनाते हँ ओर ५०,
६० हाथ दूर पर उस हथिनीके पास द्ःदता हा हाथी श्ना रहा है ऐसी
आकृतिका दाथी बनाते है । जब जंगलका हाथी उस हैथिनीके विपयकी
कामनासे दौडक्र 'झाता दे; सामने दूसरा, हाथी दिखता है; इस कारण
छोर भी तेजी से झाता है। उन पंचों पर पेर रक्खा कि वे बांस टूट जाते '
है ओर हाथी गढढेमे गिर जाता दै । कर दिन तक भूखा वहीं पड़ा रहता
है; शिथिल दो जाता है। फिर धीरे से रास्ता निकाल कर अङ्शसे वश
करके उस हाथी को मनुष्य अपने आधीन कर तेते दै ।
रसनेन्द्रियविषयका परिणाम-- रसना इन्द्रियके विषयक लोभसे
छाकर ये मछलियां फंस जाया करती ह । थोडे मांसके लोभमे भाकर
काटेमे 'अपने कठ को कसा कर भाण गेवा देती है । ढीसर लोग वांसमे
डोर लगाते है भौर डोरये अंते को$ कांटा लगाते हैं और उसमे कुछ
मचा घगरह उस पर चिपक देते है, उसे पानीमे छोड़ देते दें । मछली
उस मांसके लोममे आकर मुँह पसार कर उसे खा जाती है; उसमे लगा
हुआ काटा कठमे छिद् जाता हे; प्राण गंचा देती है ।
घ्रारोन्द्रियविषयका परिणाम-- घायेन्द्रियका विषय देखो--भेवरा
शामको कमलके पुमे चेठ गया सुगधके लोभ्से, ` अव शासको कमल्त वद्
दो जाया करता है । सो या तो उस कमलम पडे-पडे श्वास स्क जाने से
गुजर जाता है, या कोई जालवर दाथी श्रादिक ये र उस पूल्तको
'चबा डाले तो यों मर जाता दै। एक घ्राणेन्द्रियके विषयके लोभमे उस
' अवरे ते अपने भाण गंवा दिये । |
चश्चुरिन्द्रियविषयका परिणाम-- चश्चुरिन्द्रियके िषर्योक्ी बात तो
, सामने है । जलते दीपकको देखो उस पर पतंगे गिरते है भौर वे भर
, जायां करते दै । वे देखते रदते हैं दुसरे मरे हुए पतंगोंको; फिर भी उनकी
त धारणा दे कि वे भी उस दी लो पर गिरते है रौर मर
जाते दे ।
शरोचेन्द्रियके बिपयका परिणास-- श्रोघ्रइन्द्रियके घशसें सांप पकड़े
जाते है, हिरण पकडे जाते हैं । इन जीबोंको रागका बड़ा शोक है । सपेरे
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