हम विषपायी जनम के | Ham Vishapaee Janam Ke

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Ham Vishapaee Janam Ke by बालकृष्ण शर्मा - Balkrishn Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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११. स्मरण-विहुंगम 4 ५६१ १२. ज्वाल-पौन-हूाहाकार व ५६३ १३. द्विधा खोप ध ५६८ १४. यात्रा पथे ४ ५६५ १५. तुम मेरी आंखों की पुतलो (नि ५६६ १९. रोको, हे, रोको ५ ५६९ १७. आकांक्षा का राव णि ५७० १८. अंगारों की झड़ियाँ प ५.७१ १९. विस्मरण-खे प ५७२ २०, ओ हिरनी की आँखों वाली 0 ५७३ २१. कितनी दुर पधारे हो ॥ ५७५ २२. वे क्षण क ५७६ २३. हम परित्याग के आदी हैं नर ५७७ २४, लो यह नाता टूट रहा है ^ ५७८ २५. प्रिय, मैं आज भरी झारी-सी के ५८० २६. तुम हसते से प्राण 4; ५८२ २७. कौन-सा यह्‌ राग जागा? ॥ ५८३ २८. आराइयाँ को ५८४ २९. मृत्तिका की गुड़ियों के गीत भनौ ५८५ ३०. कवि जी | ष ५८७ १. दुई का सोच + ५९० ३२. मेरे अम्बर में निपट अँधेरा छाया ध्‌ ५९२ ३३. अब यह्‌ रोना-धोना क्या 2 1 ५९४ ३४, फिर आ गयी दीवाली कै पु २३५. गागर मे सागर व दु ३६. कागज को नाव षः ५९७ ३७. मेँ निज मार वहन कर लंगा ४ ५९८ २८. विनय क ५९८ ३९. गभीर मेदकाभरम + ६०० ४०. बहुरगी की ६०१ ४१. प्यार बना मेरा अभिनाप | ६०२ ४२. तुम हो मये पराये ; ९०३ हम विषपायी जनम के १७




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