पूर्व - आधुनिक राजस्थान | Purv - Aadhunik Rajasthan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
27 MB
कुल पष्ठ :
420
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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परी सहायता भिलगी ।
डॉ० रघुबीरर्सिहजी को उक्त पुस्तक का प्रकादान करते
हुए “सहित्य संस्थान अपूवं गौरव का अनुभव करता है ।
प्रस्तुत पुस्तक राजस्थान टाइम्स लि०, अजमेर, में कई महीनों
पहिले ही छप कर तयार हो गई थी, किन्तु “साहित्य संस्थान
की अपनी कठिनाइयों के कारण उसके प्रकाशन में अब तक यह
विलम्ब होता गया । हमारे इस विलम्ब के कारण राजस्थान
टाइम्स छि० के संचालकों को भी काफी असुविधा उठानी पड़ी
है, जिसके लिए हमें हार्दिक खंद है ।
महाराजकुमार साहब ने अपने भाषणों को पुस्तक्ाकार
प्रकाशित करने की स्वीकृति देकर “साहित्य संस्थान” को
इतिह।स-कायं की सेवा कृरने का जो सुअवसर दिया उसके
लिए उनके प्रति क्या आभार प्रदर्शित किया जाय ? वे एक ओर
तो राजस्थान विद्वविद्यापीठ के “उपकुलपति' हें. तथा दूसरी
ओर “साहित्य संस्थान'” के विशिष्ठ संचालकों में प्रमुख हें, अतः
उनके प्रति केवल आभार प्रदर्शन कर उनकी सहायता के मूल्य
कोनहीं आँका जा सकनाहं। इस पुस्तक के प्रकाशन मजो
विलम्ब हुआ, उसके रिए हम महागाजकूमार से क्षमा चाहतें हें ।
समूचे राजस्थान का जो राजनतिक एवं शासकीय एकीकरण
हुआ है, वह उसके इतिहास में एक सर्वेथा अभूतपूर्व घटना है,
और उसका महाराज-प्रमुव भी आधुनिक भारतीय वधानिक
परम्परा में सवया एकाकी ही हे । मेवाड़ के विलीनीकरण के
लिए स्वीकृति देकर राजस्यान की इस प्रान्तीय एकता को मूत्त
रूप देने में हमारे महाराज-प्रमुख का महत्त्वपूर्ण हाथ रहा हे ।
पुन: हमारी इस विद्वविद्यापीठ के वे सवे-प्रथम कुलपति
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