अशोक के धर्म - लेख | Ashok Ke Dharmlekh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
75 MB
कुल पष्ठ :
477
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न ` ममक इतिटास 1
यूं २५८६ से सिकम्द्रकी सत्य होने एर चन्रयप्तन हिन्दुच्रको
संगठित करके उन यूनानियांक विरु वलवा किया जिन्हें
सिकन्दर पथिमोत्तर प्रास्त तथा एंजाद पर श्रीक-शासन स्थिर:
रखनेके लिय छोड़ गया था; इस चलवेका शकम नेता
चन्द्रयु्त माय था ( ६ ) चलवा करनेके बाद त्पने मन्न्री चासक्य-
की सहायतासे नन्दवशके '्पन्तिम राजाकों मार कर चन्द्रगुप्त
इसवीं सनके पूर्व २२२ * अथवा विक्रमीय संवसके पूर्व “२६५
के लगभरा मगध राज्यके सिंहासनपर बैठा ( ६ ) उस समय
संगथ राज्य बहुत विस्तृत था; उसमे कोशल ( अयोध्या, ) काशी
श्ररदेश ( पश्चिमीय बंगाल ) तथा सग ( दिहार ) थे सब
देश शामिल थे'( ७) चन््रप्त परः कलत ( कूल ) मलय, कारमीर,
सिन्धु खोर पारस इन पाँच देराके सजाच्प्रोने पिल्ल कर
हमला किया जिसका निवाररा उसने अपरं मस्ती तथा
सहायकः चाक्यकी सदायतासरे किया{ ( ८ ) विदेशी यूना-
मे जैग अ्रन्योष्ठे अधर पर थीयुष्त शाणे पाद जायसवाल सस ₹9
का सत है कि चन्द्रगुष्टक राज्यकास कदासिद मी खर एवे २२
चदझुसार दिक्रमीय संदत्क प्ुब २६८से प्ारम्म दुखा (10 पाव्य वतात्
770८6८01, 4 6८ 80८6८ एव €0द९्.1912, 702. 3211-2)
1 सुद्राराझस, प्रथम ऋड्भू, श्लोक २० यशाः ~
चाशकः---रपखन्धयामस्मि मखिधिस्यो खा हस्य स्लेरखपजलोकस्व
मध्यात भ्वागत्वा पश्य राशानः: परया सुदखरा साश्चसमनुषसंगसे ।
रे ख्या--
सतौत प्रिचत्रघमां मलयनरपविः स्षिंहनगदो मु सिंहः १
काश्मोरः पुष्कराष्ष: पर्तारजुमदिना देन्धवः (खिन्युरेश्ः
सेघाख्यः पंचसोउस्मिन्पूथुतुरययसलः पारसीकािराध ।
नासन्बेषं लिखामि भ यमदसदुगः ख्द्रगुष्तः ममाप्टं ४
User Reviews
No Reviews | Add Yours...