आचार्य राजशेखर का व्यक्तित्व एवं कृतित्व | Acharya Rajshekher Ka Vyaktitv Evm Krititv

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26 MB
कुल पष्ठ :
337
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)191]
(4) उनके पुत्र देवपाल ^ © 9481
इस प्रकार विभिन शिलालेखो के आधार पर महेन्द्रपाल का समय 890 ई० से 910 ई० तकर
स्थिर किया गया है।
अन्तः साक्ष्य भी आचार्य राजशेखर को गुर्जरप्रतिहारवशी महेन्द्रपल का गुरू सिद्ध करते हे ।
चार्य राजशेखर ने सबसे पहले 900 ई० के भास पास ' कर्पूरमज्जरी' सटक कौ रचना कौ । इसको
प्रस्तावना मे उन्होने स्वय को महेन्द्रपल अथवा निर्भयराज का गुरू बताया है 2 कर्पूरमज्जरी का चण्ड
या चन्द्रपाल सम्भवतः महेन््रपाल ही है । कर्पूरमञ्जरी के बाद आचार्य राजशेखर ने ' बालरामायण ' कौ
रचना कौ ओौर तत्पश्चात् ' बालभारत' की । इन नाटको के नाम का ' बाल' शब्द इनको कवि के
काव्यरचना काल कौ प्रारम्भिक रचना नही सिद्ध करता क्योकि ' बालरामायण ' मे राजशेखर ने अपने
लिए ' कविवृषा ' शब्द का प्रयोग किया है 8 ' बालरामायण' नामक नाटक रघुकुलतिलक महेन्द्रपालदेव
की सभा के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। इस नाटक मे महेन्द्रपाल की सुस्थिर राज्यलक्ष्मी का वर्णन
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* बालकई कड्राओ णिव्भअराअस्स तह उवज्ज्ञाओ' ' (कर्पुरमञ्जरी ~ 1-9)
' निखिलेऽस्मिन् कविवृषा ! (*बालरामायण प्रथम अङ्क --श्लोक - 11)
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