खलील जिब्रान की श्रेष्ठ कहानियाँ | Khalil Jibran Ki Shreshath Kahaniya

Book Image : खलील जिब्रान की श्रेष्ठ कहानियाँ  - Khalil Jibran Ki Shreshath Kahaniya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about महेन्द्र मित्तल - Mahendra Mittal

Add Infomation AboutMahendra Mittal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ख़लील जिज्ान की श्रेष्ठ कहामियां बाज़ार उन औरतों से भरा पड़ा है, जो कौड़ियों के मोल अपना शरीर और अपनी आत्मा बेचा करती हैं । अब मेरे पास कुछ है भी नहीं, जिसे मैं बेच सकूं, सिवा उन बचे-खुचे, टूटते हुए सांसों के, जिन्हें मौत जल्दी ही क़ब्न के आराम के बदले में खरीदेगी ।' मैं उसकी चारपाई के पास खड़ा हो गया । उसके इन शब्दों ने मेरे अंतः्करण को अकथनीय व्यथा से भर दिया, इसलिए कि वे उसके दुर्भाग्य की संक्षित कहानी कह रहे थे। मैंने दुःखी स्वर में उससे कहा, ' 'रैहाना ! मुझसे डरो नहीं । मैं तुम्हारे पास भूखे जानवर की हैसियत से नहीं, सहानुभूति रखने वाले इंसान की हैसियत से आया हूं । मैं लेबनानी हूं और एक अर्से तक उन घाटियों और उस गांव में रहा हूं, जो सनोवर के जंगल के पास है। किस्मत की मारी रैहाना, मुझसे तुम झगे मत उसने मेरे ये शब्द सुने और वह जान गई कि वे उस आत्मा को गहराइयों से निकल रहे थे, जिसे उसके दुःख के साथ हमदर्दी थी । वह अपने बिस्तर पर ऐसे कांप उठी, जिस तरह बिना पत्तों की टहनियां जाड़े की हवाओं के सामने कांपती हैं। उसने दोनों हाथों से अपना चेहरा छिपा लिया, जैसे अपने को उस याद से बचाना चाहती हो, जो अपनी मधुरता की दृष्टि से भयानक और अपनी सुंदरता की दृष्टि से कड़वी थी । थोड़ी देर की ख़ामोशी के बाद, जो आहों से भरी थी, कांपते हुए कंधों में से उसका चेहरा दिखाई दिया और मैंने देखा कि उसकी धंसी हुई आंखें कमरे में खड़ी हुई एक अनुभूतिविहीन वस्तु पर जमी हुई हैं; सूखे होंठ निराशा से फड़क रहे हैं; गले में गहरी और टूटती हुई कराह के साथ मृत्यु की खरखराहट है । प्रार्थना और याचना से उभरती और टूटती हुई कराह के साथ कमजोरी और दुःख से गिरती हुई आवाज़ में उसने कहा, *' तुम एक उपकारकर्ता और सहानुभूति रखने वाले की हैसियत से आये हो। अगर अपराध करने वालों पर उपकार करना अच्छी बात है और पापियों के साथ मेहरबानी से पेश आना नेकी है तो भगवान तुम्हें इसका पुण्य दे दें । मगर मैं प्रार्थना करती हूं कि तुम जहां से आये हो, उल्टे पांव वहीं वापस चले जाओ। तुम्हारा यहां ठहरना तुम्हारे लिए लज्जा और बदनामी का बायस बन जायेगा, और मेरी स्थिति के प्रति तुम्हारी यह सहानुभूति तुम्हें दुनिया की नजरों में कलंकित कर देगी । जाओ, इससे पहले कि इस गंदे और अपवित्रता से भरे हुए कमरे में तुम्हें कोई देख ले, यहां से चले जाओ । इस गली से जाते समय अपने मुंह पर कपड़ा डाल लेना, वरना किसी आते-जाते की निगाह तुम पर पड़ जाएगी और तुम मुफ्त में बदनाम हो जाओगे । वह दया और सहानुभूति, जो तुम्हारे हृदय में है, मुझे फिर से नेकचलन नहीं बना सकती । मेरे दोषों को नहीं मिटा सकती । मेरे दिल से मौत के ताक़तवर हाथ को नहीं हटा सकती । मुझे मेरे दुर्भाग्य और पाप ने इन स्लील




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now