बुन्देली का भाषाशास्त्रीय अध्ययन | Bundeli Ka Bhashashastreey Adhyayan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
253
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( हे. )
रखने के कारण *विन्ध्येले > *विन्देले >> “बुन्देले' कहलाए” । विन्ध्य की
अटवियों में रहने वाली जातियों का स्मरण “ब्िन्ध्य' के आधार पर किया
जाता रहा है; यथा--'विन्ध्यवासिन:' ( वायुपुराण १३१. ) “विन्ध्यपृष्ठ-
निवासिनः' ( वायुपुराण १३४ ) 'विन्ध्य के वासी'””' ( तुलसी, कवितावली )
आदि । विन्ध्यराज' “विन्ध्यशक्ति' आदि व्यक्तिसूचक नामों का भी प्रयोग हुआ
है । स्थान के आधार पर जातियों के नाम और जातियों के आधार पर स्थानों
का नामकरण करने की प्रथा सापान्य है ।* अतः स्पष्ट है कि “बुन्देला' नाम
'विन्ध्य' से बहुत कुछ सम्बन्ध रखता है, जो इस जाति के व्यापक प्रभुत्व में
आने पर अधिकाधिक प्रचलित होने लगा होगा । इससे यह भी निष्कर्ष
निकलता है कि बु्देरुखण्ड' नाम परवर्ती है और बन्देला जाति के राज्यः
विस्तार के आधार पर कल्पित किया गया है ।
इण्डियन गजेटियसं' ( 10 (825665 ) में दी हुई बुन्देलखण्ड ,
की भौंगोलिक सीमाएँ पुर्णरूपेण वे ही हैं जो बुन्देल-वींर छत्रसाल के राज्य-
विस्तार के लिए ऊपर उद्धृत की जा चुकी हैं । आधघुनिकतम राजनैतिक
विभाजन के आधार पर.हम इस भू-भाग के अन्तग॑त आने वाले जिलों की
परिगणना इस प्रकार करा सकते हैं :--
उत्तर प्रदेश- (1) जालौन (11) हमीरपुर (111) ससी (1४) बाँदा
मध्य प्रदेश- (४) टीकमगढ़ (४1) छतरपुर (शा) पन्ना (शा) दमोह
(2) सागर (श) नरसिंहपुर (ॐ) भिण्ड (ख) दतिया
(171) ग्वालियर (उप) शिवपुरी (उष) भूरेना (शष)
गुना (11) विदिशा (111) रायसेन (सड) होशंगाबाद
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१. तुलना कीजिए-रुहेला-(रोह < एवंत) से सम्बन्ध रखमे वाले । नेला--
बन से सम्बन्ध रखने वाले । इसी प्रकार व्पाद्यदरेवसे
सम्बन्ध रखने वाले बचघेले तथा चन्द्रानेय से सम्बस्ध
रखने वाले चन्देल ¦ |
२. हिन्दी के श्रभ्युदय काल मे कबीलीश्रौर जातियों के श्राधार पर स्थान
नामकरण की प्रवत्ति विशेष रूप से उल्लेखनीय है-बुन्देलखण्ड श्रोर
बघेंलखण्ड ही नहीं बेसवाड़ा, भीलवाड़ा, राजपुताना, गौंडवाना आदि )
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