प्रश्नोत्तर शतक | Prashnottar shatak

Prashnottar shatak by तुलसीराम स्वामी - Tulasiram Svami

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ९९ ] ~~~~ ~~ ^~---~ ------~-~---~-----~--^~----------~ ~~~ ~~~ ~ ~~~ -~-~-----~- --~--~ ----------------~------- --- उपाय. ये सब चक्ति युक्ति से सिद्ध । जन्मसे ही रूपवान्‌ वनवानु घा- स्यवःन्‌ होना, जत्तभ कुल में जन्म पाना प्राक्तन पुषेयकर्मा फे फलभोग, अर अन्धा सुनना सगछ़ा खन्ना चौना प्रमद्‌ आमीन कोषो रोगौ मोघ चुन में जन्म पाना पूर्वसझुत पापकर्सो के फलनभोग प्रत्यस प्रमाण दे । २९ प्रश्न बहुधा दो भादि वस्त्रो के सयोगसे तोमरो वस्त॒स्वत चत्पन्नहो जातौ हे इस में सहस्त्रा प्रत्यन्त प्रनाण है कत्त चत्ता हत्त को अवश्यकता नही पर- मेप्रवर यह शब्द्‌ लोभे के दवान फमनाने के लिये बनावटो उढ़ान घडे नही हो लो क्या है ? । उत्तर लड़ ट्रव्यो के अपने पाप खपोग वियाग कर सकने वा मिस्त जाने को शक्ति नही जोन ताइमें वातना दूश्य वा छादूश्य चेतन पुरूष हुआ करता है । २1३ ४ झादि पदार्थों का गण मिश्रिन वस्त में भी बना रहता है छोटे चढ़े जिलने सा- कार पद थे जड़ चेतन चर वतन सूर्ति चित्र पूथिवी शादि लोकतीकाश्तर घ्मीर भनुष्यादि फे शरीर इन सच का अनाले खाता ला अनायास हानिलान खुष दु ख उपस्थित कराद्ने बाला किसी सहानुपरूष का होना छनुमान से सिद्ध ऐ ॥ २० प्रन यह सलार क्या है संशयका आसार है कही किसी के लिये विष जमृत कासा मगा देता, किसी के छत ही विष हो जाला है कभी अकारया ्कस्नात्‌ हानि था लाभ यपस्थिन हो गाता दे इसका काद मियम ठोक निदान जाप का ज्ञात दो तो कचद्टिये ? । उत्तर संसार में का टिशः सनुष्य हैं इस के मुख्य कर तीन ही मेद्हे. सन्मध्ये दो प्रकार के मनुष्या केतो कौचत्मा परमात्मा, लोक परत्नाक- पाप पुय. हर्मि लम. लिद्धि ्रकिद्या अन्व सोकष के निदान तिष्यं कड सन्देह नहीं होला जैसा पृश विद्वान्‌ भौर दूसरे निरे वालक सूखें शूद्र- परन्तु तीसरे प्रकार बे अटुिसित पोपशालग्रस्त तुम्हारे शदूश जनों का अधशय खन हुम हौ करता है. खान्ति रोग की शान्तिकुपों अंप्पन्थि सरसगलि बेद्िकी शिक्षा दीक्षा है




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