पं॰ भीमसेनजी और आर्यसमाज | P. Bhimasenji Aur Aaryasamaj
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
78
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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शोर इसमें अच्छे भी गुर हैं परन्ठ बुरे गुण ऐसे प्रबल हैं कि
श्रच्छे गुणों को मात कर देते हैं । यदि परमेश्चर की कपा से
उसका स्वभाव सुघर गया हो ता बढुत अच्छी वात है परस्न्त
जव इस पन्न का उत्तर श्राप भेजे गे तिस पश्चात् मेरी जैसी
सम्पति देगी वैसी श्रोपके और भीमसेन को लिख दंगा |
देखिये कि बद्री श्रापफो झऔर मुझको कैसा भलामाचुस
दीखता था श्रौर कैसा दुप्ट निकला इसलिये उत्तम, घार्मि
पुर्वाय मजुष्य का सहसा मिलना असम्भव नहीं ता दलभ
तो शवश्य है, बड़े भाग्य श्र परमेश्वर की करा से उत्तम
पुरूष के उत्तम पुरुष मिलता है ।
मव से मेरा श्राशीवाद फह दीजियेगः | मुदा निश्य है
छि आप पक्षपात रहित यथाथ सिके ।
मिनी भाद्ररः-ी ८ संवत् १६४०
दयानन्द सरस्वत; ( जोश्रवुर, राज-म्रारकवाड् )
इस ऊपर लिखे हुए श्रीसवामीजी के पत्र का उसर £ दिन
पथात् चौधरी जालिमर्सिदजी रईस रुपघनी ( यद आस
पं सीमसेनसी के ग्राम लालपुर के अति निकट है ) जिता
पट ने भाव खुदी १० संवन् ९६८० को श्वी स्वामीजी की सेवा
मं रथान जेधपुर के भेजा ।
पत्र चाधरी जालिमसिंरजी का श्रीखामीजी के नाम-
थम
श्री युत मान्यवर विद्व्तन भूषण श्री महाराज परिइत
स्वामी दयानन्द्जी, नमस्ते !
मे झापकी कुपा से झानन्द से हूँ । आपकी श्रार:ग्यता और
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