नवजागरण के आलोक में शरतचंद्र | Naw Jagran Ke Alok Me Saratchandra
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
219
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क,
दयाल सिंह पुन्यास के तत्वाधोन् दयाल सिंह कालेज ख्वेला गया 1
६५५ गर्व ल्मान :
ब्रह्म समाज एवं प्रार्थन/ समाज ने जो सुधारवादी आन्दोलन चलाय
उस पर पश्चिम का प्रभाव या । उन्हें सरकारी संरक्षण भी प्राप्त था । उसने
ईसाई धर्प ओर संस्कृति से प्रभावक्ति होकर हिन्दू, धर्म ओर समाज की करी लिया”
कीं दूर करने कापयत्न किया था ।
यदपि प्कि उन्होंने वेद तथा उपनिषदो' से प्रेरणा प्राप्त की थी परन्तु
उसने उनकी श्रेष्ठता को स्थापित काने का साहस नहीं किया । उन्होंत ईसाई
ओर इस्लाम ्म को भी समान पद प्रदान किया था । हिन्दू धर्म और उसकी
आत्मा उनसे सन्तुष्ट न हो सकी । पूर्णस्प से शा रतोय सुधार आन्दोलन का प्रवर्तन '
आर्य समाज द्ारा हुआ । आर्य समाज आन्दोलन का जन्म पाश्चात्य प्रभावौ की
ल् पुततिक्रिया स्वकहप दुआ । इसकी स्थापना स्वामी दयानन्द ने 1875 ई0 मे' लम्बडं
मेढी । स्वामी जी ने भारतीय जनता की खोई दु्हअआत्मा का संधान किया
बीर राष्ट्रीय जीवन में शीकत का संचार क्या । वे वेदिक धर्म में ही पूर्ण सत्य
की मानते थे । हिहन्दू, धर्म को वे दिव - धर्म मानते थे । हिहन्दू शर्म के दरवाजे
समूची मानव - जात्ति के लिए खुले थे । धार्मिक सुधार आन्दोलन के स्प मैं
User Reviews
No Reviews | Add Yours...