नवजागरण के आलोक में शरतचंद्र | Naw Jagran Ke Alok Me Saratchandra

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Naw Jagran Ke Alok Me Saratchandra by शैलजा पाण्डेय - Sailja Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क, दयाल सिंह पुन्यास के तत्वाधोन् दयाल सिंह कालेज ख्वेला गया 1 ६५५ गर्व ल्मान : ब्रह्म समाज एवं प्रार्थन/ समाज ने जो सुधारवादी आन्दोलन चलाय उस पर पश्चिम का प्रभाव या । उन्हें सरकारी संरक्षण भी प्राप्त था । उसने ईसाई धर्प ओर संस्कृति से प्रभावक्ति होकर हिन्दू, धर्म ओर समाज की करी लिया” कीं दूर करने कापयत्न किया था । यदपि प्कि उन्होंने वेद तथा उपनिषदो' से प्रेरणा प्राप्त की थी परन्तु उसने उनकी श्रेष्ठता को स्थापित काने का साहस नहीं किया । उन्होंत ईसाई ओर इस्लाम ्म को भी समान पद प्रदान किया था । हिन्दू धर्म और उसकी आत्मा उनसे सन्तुष्ट न हो सकी । पूर्णस्प से शा रतोय सुधार आन्दोलन का प्रवर्तन ' आर्य समाज द्ारा हुआ । आर्य समाज आन्दोलन का जन्म पाश्चात्य प्रभावौ की ल्‍ पुततिक्रिया स्वकहप दुआ । इसकी स्थापना स्वामी दयानन्द ने 1875 ई0 मे' लम्बडं मेढी । स्वामी जी ने भारतीय जनता की खोई दु्हअआत्मा का संधान किया बीर राष्ट्रीय जीवन में शीकत का संचार क्या । वे वेदिक धर्म में ही पूर्ण सत्य की मानते थे । हिहन्दू, धर्म को वे दिव - धर्म मानते थे । हिहन्दू शर्म के दरवाजे समूची मानव - जात्ति के लिए खुले थे । धार्मिक सुधार आन्दोलन के स्प मैं




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