दसलक्षण धर्म प्रवचन | Dashalakshan Dhram Parvchan
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उत्तम क्षमा
धर्मों की, उपासना से प्रकट होती है । इस प्रकार ये पर्व हमें
निर्मल बनने की, वीतरागसय बनने की शिक्षा देते हैं ।
गतवषं से इय वषे हमारी झरांत्मा में कितनी निर्मलता आ्रायी,
हममे कषाय श्रौर पाप की मंदता कितनी हुई, इस बात का लेखा
जोखा हमें इन दिनों में करना है व पाठशाला की तरह दस धर्मौ
का पाठ पढ़कर व्यवहारिक जीवन के प्रत्येक क्षणों मे इनको प्रयोग
सें लाना है । हमारी पूजन प्रक्षाल व त्रत उपवास श्रादिक बाह्य
क्रियाग्रो के साथ-साथ हमारे मन का मैल निकल जाना चाहिए,
कलुषताये मिटना चाहिए श्रौर श्रन्तर में विशुद्धता प्रकट होनां
चाहिए । तभी आांत्माचुभूति की जा सकती है । यदि श्रन्तर में
विषय कषायो व भोगों से अझरुचि नहीं हुई तो मोक्ष मंग॑ की
पहिचान से हम दूर रहते हैँ और आ्रात्म लाभ हमें नहीं हो पाता ।
भगवत् भक्ति गुरू उपासना ्रौर स्वाध्याय करनेका अभिप्रायं
दोषों को छोडकर निर्दोष बनने का होना चाहिए । रागद्रैव की
प्रवृत्ति हममे केम हो, सवं स्नेह श्रौर सवेविकल्प भुलाकर यदि
ज्ञानवृत्ति रूप, परमविश्राम रूप श्राध्यात्मिकता हसमें प्रकट हौ तो
यंही पर्व मनाने की. वास्तविक साथंकता है, भ्रौर इसी में हमारी
्रात्सा का लाभ है ।
श्राज का नवयुवक धर्म से उदासीन है । वह भौतिकता में
सक्त है ग्रौर भौतिकता को ही उसने जीवन का सार माना है ।
साथियों ! “धर्मरहित भ्रात्मा भावसूर्दा है इस बात को ध्यानम
रख हमें निश्वय कर लेना चाहिए कि जगत में विषय प्रवृत्ति सार
नहीं । भौतिक उपलब्धि अ्रसार है, महती सूढ़ता भरी विडम्बना है ।
न कुछ भअ्रसार जैसी बातों में बहुकर यदि इस अति उत्कृष्ट चैतन्य
महप्र्ु का तिरस्कार करने सें अपन लगे ररहुगे तो यह् वात बहुत
User Reviews
No Reviews | Add Yours...