अँधेरे में उजाला | Andhere Mein Ujala

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Andhere Mein Ujala by क्षेमानंद 'राहत'- Kshemanand 'Rahat'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ६४ 2 टाल्स्टार्य॑ घर छोड़ कर चले जाते हैं किन्तु निकालस शाह- जादी चेरमशनोन्स के हाथो गोली का शिकार होता है। यहीं इन दोनों के जीवन.में अन्तर है । निकोलस को इस बात का दुःख है कि उसने जहाँ जिस काम सें हाथ लगाया वहीं उसे असफलता हुई किन्तु मरते समय खसे दघ बात का सन्तोष है फि उसने जीवन के र्थं को समम लिया । शायद उस 'झथे को चरिताथे वह दूसरे जीवन में करेगा । वासिली नाम का एक युवक पुरोहित है जो निकोलस के संस में आने से, धीरे धीरे उसके मत का दो जाता है । वासि- ली का जीवन उन सहयोगी भाइयों की याद दिलाता है जो असहयोग के तूफानी जमाने में भावुकतावश कालेज या कचहरी छोड़ कर स्वतंत्रता के सैनिकों में आ मिले थे किन्तु जोश ठंडा होते दी अपनी कृति पर पछताते हुए फिर अपनी अपनी जगह पर लौट गये.। वासिली को पीछे हृटता देखकर निकोलस को बड़ा दुःख होता है। उसे इस बात का अभिमान था कि घर के लोगों ने न सही कम से कम वासिली ने तो उसके समान सत्य को सममा है जौर सादसपू्वक उसका ्रलुसरण किया है किन्तु उसका यह मधुर सुख स्वयं बड़े बेसौके दूटता है । इस नाटक का एक आऔओर पात्र है जिसके चरित्र का उल्लेख कंरने की 'आावश्यकता है.। यह है युवक बोरिस । बोरिस शाहज़ादी नोरगशकोव्स का एकमात्र - पुत्र है जिसे उसने बड़ी मुसीबतें सह करः पाला है । वदद निकोलस के सिद्धान्तों को पसन्द करने लगता है और उनका अमल- करने को कटिबृद्ध, होता है। निकोलस की




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