बोध - प्रद काव्य | Bodh - Prad Kavya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
504
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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14
ब्रह्मचर्य ही तो इस जग मे, अनत शक्ति का समुदाय है,
अनत शक्ति का समुदाय है, ओर सम्यक् ज्ञान का उपाय है।
सम्यक् ज्ञान का उपाय है, और सच्चे सुख का व्यवसाय है,
सच्चे सुख का व्यवसाय है, और मुक्तिरानी से व्याह रचाय है।
15
सच्ची भक्ति ही तो हमको सच्चा भक्त बनाती है,
सच्चा भक्त बना करके फिर आशीर्वाद दिलाती है।
आशीर्वाद दिला करके, केवल ज्ञान दिलाती है,
केवल ज्ञान दिला करके, शिव मजिल पहुँचाती है।
16
समुद्र के पानी को नापा नही जाता,
आकाश के सितारो को गिना नही जाता।
सरस्वती कं भडार को तोला नही जाता,
वीर दर्शन को मुझसे छोडा नही जाता।
17
रेत की दीवार, ज्यादा नही चलती,
बिना पेट्रोल के गाडी नहीं चलती।
पत्थर की नाव तैरती नहीं देखी,
पाप की कमाई ठहरती नहीं देखी।
18
जहर की प्याली पीयी नही जाती,
की हुई मेहनत खाली नही जाती।
इज्जत पै दाग धोया नही जाता,
मिश्री मे मिठास घोला नही जाता!
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