भारतीय राजस्व | Bhaaratiy Raajasv

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Bhaaratiy Raajasv by भगवानदास केला - Bhagwandas Kela

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( & ) भम-निवार्क पचर इस पुस्तक में अड्डों का काम बहुत है। प्रफयथा शक्य सावधानी से देखा गया है। फिर भी यदि काई टि रह्‌ गयी है तो विद्वान पाठक उसे खुघार कर पढ़ सकते हैं। हम यहां कुछ खास खास बातों का उदडेख करते हैं-- पू्ठ ३२ के नीचे से तीसरी पंक्ति में, उपशीपक का नम्बर *5४' की जगह *५' होना चाहिये । पृप्ट ३४ की चौथी पंक्ति में 'स्टाम्प' उपशीषक से पिरे उसका नम्बर ६” समभना चाहिये । पृप्ठ ४१ की सातवों पंक्ति में 'आयत' को जगह आयः होना चाहिये । | पृष्ट ४६ की तेरहवों पक्ति में “का आय में ३८-५” को जगह, “की आय में १८.५ होना चाहिये । पृष्ट ७८ मैं दसवीं ओर ग्यारहवौ पक्तियों के वाक्य दुबारा आगये ह । इनक्छी आवश्यकता नहीं | पृप्ट ८१ का पहिली पंक्ति में उपशीपक से पहिले उसका नस्बर “६” होना चाहिये । पृष्ट ६५ मे नक्शों के खाने में जहाँ *११२१-२२' छपा है; जहां “१६२९-२२ सम कना चाहिये । पृप्ट १०२ की पहिली पंक्ति में उपशीषक से पहिले उसका नम्बर १ और प्रृष्ट १०६ की पहिली पंक्ति में उपशीष॑क से पहिले उस का नम्वर '२' होना चाहिये !




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