अनिमा | Anima

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Anima by श्रीसूर्यकान्त त्रिपाठी निराला - Shree Soorykant Tripathi Nirala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१३ खुन्दर हे, खुन्दर ! दशेन से जीवन पर चरसे ्रविनश्चर स्वर । परसे ज्यों पराण, फट पड़ा सहज गान, तान-खुरसरिता वही तुम्हारे मज्ल-पद छूकर । उटी है तरङ्ग, वहा जीवन निस्सङ्ग, चला तुमसे मिलन को खिलने को फिर फिर भर भर । - 9 3 ६




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