संक्षिप्त बिहारी | Sankshipt Bihari
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
680 MB
कुल पष्ठ :
246
श्रेणी :
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बेनी प्रसाद - Beni Prasad
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रमाशंकर प्रसाद - Ramashankar Prasad
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)संसिप बिहारी
अवतरणिका
हिन्दी भाषा के श्रन्य अनेक कवियों के सदश महाकवि विहारी-
लाल के भी जीवन-काल का निश्चित परिचय नहीं दिया जा
सकता । इनके रचित एक, श्रध दोहों श्रार कुछ इघर-
उधर लोगों के मैीखिक कथने के ्रधार पर तकं श्रार ्रनुमान
५ ¶ श्रक्तूवर सन् १६२६ की “सरस्वती” मँ किसी महाशय ने 'बिहारी-
विहार' नामक पचास देहें। का एक संग्रह निकाला था । दोहें। के पढ़ने से
ज्ञात नहीं होता कि उनका लेखक सतसई-निर्माण-कर्तता हे. सकता है ।
श्रतः उन दोाहें। के श्राधार पर बिहारीठाल की जीवनी तैग्रार करना ठीक
नहीं जान पढ़ता, किन्तु यदि उनके विहारी की कविता मान टतो
उनके जीवन का वृततांत, जा श्रव तक श्रधकार में पड़ा है, प्रकशित ष्टा
जायगा । उन देषो से निन्न-लिखित बातें मालूम होती दै ।
पितामहः-- वसुदेव ज् , पिता केशवदेव, गाव मधुपुरी,
जातिः--चाद्ण, चौबे, माथुर (ुःचरा) ककार, इनके पुत्र कृष्णा
जन्मः--““सवत् जुग शर रस सहित भूमि रीति गिन लीन्ह
कातिक सुदि वुध श्रष्टमी जन्म दमहिं विधि दीन्द'” (१६९४ सं)
रित्ताः--त्रु'दावन मे नागरी दास के यहां जाकर
“विद्या काव्य झनेक बिधि पढ़ी परम सचुपाय”
श्रौर “गान ताल सब सीखिते जपत रहें हरि नाम”?
निज भाषा श्ररु संस्कृत पढ़ि लीन्डी बहु भांति”
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