शीघ्रबोध | Shighar Bodh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(९५) धन--पुना. भी भागमोद्य सरिति अन्यमी छोटी घडी सभार्षनि सादित्य प्रफादित करने में अच्छी सफलता प्राप्त करी द--मनुप्य माघका फर्जे है कि अपनि २ ययादक्ति तन मन धनसे धघ्म सादित्य प्रचारमें अप्य मदद देना चादिये । सादिस्यप्रेमी परम्‌ योगिराज्ञ मुनि थी रत्नपिज्ञयली सदा- राज साहिय के सद॒पदेदासे संयत्‌ १९७३ का आसाड इुद ६ फे रोज मुनि धो श्ञानसम्द्रक्नी महाराज द्वारा फलोधो नगरपेः उत्मादी भावक चर्ग कि प्रेरणासे धीरत्नप्रभाकार शान पुष्पमाला नामपि; सस्या स्थापितकी गद्थी. सस्याषा खास उद्दा छोटे छोटे ट्रेवरदारा जनता में जैनधमें सा दिव्य प्रसिद्ध वारनेका ररश गया था. इरेक स्यानपर लम्पी दौडी थातों यनानेयाले या पर उप- देदा देनेयाले यहुत मीढते हैं किन्तु ज्ञीस जगद रुपये का नाम आता हैं सच वितनेक लोग धनाष्य दोनेपर भी मायाके मजुर उद्तिफे मेद्दान से पीष्एं दठ ज्ञाते है परन्तु मुनिधीवे पक दो दिनप उपदेदास फलाधो धो मघने प्षानवृद्धिफः दिये करीपन्‌ २००८) का न्दर धी रत्नप्रभाकर पान पुष्पमाद्टा म पुस्त एपानेषः लिये लमा फरयापेःदस सस्यादि नापरषो मजयुत घनादि थी. मुनिधी झानसुग्दरननी मदाराज सादव का १९४३ का चतुर्मासा फलोधी में हुधा सापशीने एक दो घतुर्माग् में ११ पुष्प धकादित शरथा दोया। घतुर्मा सपे: पादद सापधी का पधारपा सोसीयातीय शो दि: घी रस्नप्रमम्रीो म्ाराजने उत्पल्देराघा जादि। ३८२०५०९ रातपुतोकोप्रयमषटो लोश्दाट एनाः पाषोरदमभुपे रिदषोशधतिष्ा श:रदाइयी उन मददापुयुपों दे: स्मरयार्प॑दुरोश्याखा रपपषःम्पस्या सोश्यीयों तोदपर शो रस्नप्रभाकर शान पुष्पसाद स्पापित बरी. सिस्का काम मुनिम घुदिस्टा्टनाइ पे सु घत दिया गया था.पुन्तिला- सभाइने ओदोीयों तोय हपा इन सस्पाडि: अप्छो सरधा करो थो.




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