कल्याण - मार्ग | Kalyan Marg
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
85
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ८
के पालन से जो नैतिक शक्ति उत्पन्न होगी, उस चरित्रबल
के सामने सारा संसार मस्तक झुकावेगा । उसको शक्ति
राजशक्ति से कहीं बढ़कर होती है ।
नेमिशारण्य के उपदेशक शुकवि पं० राघाकृष्ण शाखी
विमलेश' कथावाचक ने कहा--
आज जब संसार में भौतिक प्रदर्शनों द्वारा अपने
आपको, देश को समुन्नत बनाने में सभी देशों के विद्वानों
में होड़ सी लगी इई है-भौतिक प्रसाधनों से विश्व को
सच्चा कल्याण श्राप्त न हो सकेगा । केवल अध्यात्म ज्ञान
( एकात्मवाद ) दारा दी संसार मं शांति स्थापना होगी |
अखिल भारतीय भारत साघु समाज का प्रस्ताव-
अहमदाबाद मं होने बाले सम्मेलन मं ५ नवम्बर
१६५७ को एक प्रस्ताव में साधु सम्मेलन की ओर से
सरकार से शिक्षा संस्थाओं मे सदाचार के नियर्मो, भारः
तीय दर्शन, और धमं प्रथो को अनिवायं करने को अपील
की । इनके बिना सदाचार की प्रतिष्ठा नहीं हो सकती ।
देश को शिक्ता - पद्धति मे आध्यात्मिकता ओर सदाचार
के अध्ययन का अमाव ह ।
ः शाख-बचन-
एतद्देशप्रष्तस्य सकाशादग्रजन्मनः ।
स्वं स्वं चरित्रं िचेरन पृथिव्यां सवेमानवाः ॥ (मुस्त)
अर्थात् इरुचेत्रादि देश सयुद्भूत अग्रजन्मा दारा ही
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