लब्धिसार | Labdhisar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
189
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
आचार्य श्री नेमीचन्द्र - Acharya Shri Nemichandra
No Information available about आचार्य श्री नेमीचन्द्र - Acharya Shri Nemichandra
पं. मनोहरलाल - Pt. Manoharlal
No Information available about पं. मनोहरलाल - Pt. Manoharlal
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषय,
पाशकृष्टिका कथन
कथिविदनाफा फथन , +
संकमणदरव्यका विधान ... 8
अनुसमय अपवर्तनकी भरटर्तिका
कथन ,,* + पि
खस्थान परस्थान गोपुच्छ र्चनाका
विधान म
दूसरा पिधान ,,. र क
क्षीणकपाय नामा वरहे गुणस्थानका
खकूप ...« ६
पुरुपवेदसहित श्रेणी चद्नेवाटेका
स्वरुप ० ००४ 9
स्रीवेद सहित चदे जीवेकिः मेर्दोका
वर्णन ,,, ४ र
नपुंसकवेद सहित चदे जीवां कथन
सीणकपाय गुणस्थानके अततसमयका
कथन ,.. > न
सयोगकेवरी गुणस्थानको वर्णन «««
धवार घातियोकि क्षयसे चार युर्णोका
प्रगट होना क्त न
दु खका रक्षण म भ
इंद्रियजनित सुसका लक्षण न
शत
€
श
च,
[< 1 ~ रबर
छन्धिसारः ।
पु पं, विषय.
३६।५०० | केवलीके इंद्रियजनित छुस दुःख नहीं
८।५०८| होनेमें हैतु तक क
१४१।५१९ | दूसरा हेतु... ह, भः
केवटीके आदारमा्गणा होनेमें कारण
१४१।५२ ० | ससुद्धातक्रियाका वर्णन ५
सयुद्धातके पटे केवरीके आवर्जित-
१४२।५२३| करण होता है ४ कि
१४२।५२४८ | भावर्जितकरणमे गुणश्रेणी आयामका
कथन ध
1५९६ |उस ससुद्धातमें फायं विधान
ससुद्धातकियाके सर्मेटनेका कम...
1६०० | वाद्रयोर्गोका सूक्ष्मम परिणमन होने
की अवध्था 9 न
1९०२ |अयोगकेवठीका कथन „. «««»
६०३ | चौदह गुणस्थानके अतसमयसे पह-
ठेमे तथा अतसमयमे पचासी अछृ-
।६०५| तियोंका ( कर्मोका ) नाच करनेका
१६२।६०६ | कथन ,.. # कक
ऊर्ष्वलोकफे ऊपर सोक्षस्थानका खूप
१६२।६०७ प्रार्थना ., ज म
१६३।६१० | अ॑थकर्ताकी अ्रशस्ि ,, ग
१६३।६११ |अतर्मगर ,.. नर +
<+ 1 1 --
ध >
इति विषयसूची हु
११
पृषं
१६३।६१.२
१६३।६१३
१६४।६१४
१६५४६१६
१६५।६१४
१६५।६११
१६६।६२०
१६६।६२१
१६५।६२५
१७१।६४१
१५७२६४४
१७२६ ४५७
प७३६४१७
१५७४। ६८८
१७५।६४९
User Reviews
No Reviews | Add Yours...