लब्धिसार | Labdhisar

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आचार्य श्री नेमीचन्द्र - Acharya Shri Nemichandra

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पं. मनोहरलाल - Pt. Manoharlal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय, पाशकृष्टिका कथन कथिविदनाफा फथन , + संकमणदरव्यका विधान ... 8 अनुसमय अपवर्तनकी भरटर्तिका कथन ,,* + पि खस्थान परस्थान गोपुच्छ र्चनाका विधान म दूसरा पिधान ,,. र क क्षीणकपाय नामा वरहे गुणस्थानका खकूप ...« ६ पुरुपवेदसहित श्रेणी चद्नेवाटेका स्वरुप ० ००४ 9 स्रीवेद सहित चदे जीवेकिः मेर्दोका वर्णन ,,, ४ र नपुंसकवेद सहित चदे जीवां कथन सीणकपाय गुणस्थानके अततसमयका कथन ,.. > न सयोगकेवरी गुणस्थानको वर्णन ««« धवार घातियोकि क्षयसे चार युर्णोका प्रगट होना क्त न दु खका रक्षण म भ इंद्रियजनित सुसका लक्षण न शत € श च, [< 1 ~ रबर छन्धिसारः । पु पं, विषय. ३६।५०० | केवलीके इंद्रियजनित छुस दुःख नहीं ८।५०८| होनेमें हैतु तक क १४१।५१९ | दूसरा हेतु... ह, भः केवटीके आदारमा्गणा होनेमें कारण १४१।५२ ० | ससुद्धातक्रियाका वर्णन ५ सयुद्धातके पटे केवरीके आवर्जित- १४२।५२३| करण होता है ४ कि १४२।५२४८ | भावर्जितकरणमे गुणश्रेणी आयामका कथन ध 1५९६ |उस ससुद्धातमें फायं विधान ससुद्धातकियाके सर्मेटनेका कम... 1६०० | वाद्रयोर्गोका सूक्ष्मम परिणमन होने की अवध्था 9 न 1९०२ |अयोगकेवठीका कथन „. «««» ६०३ | चौदह गुणस्थानके अतसमयसे पह- ठेमे तथा अतसमयमे पचासी अछृ- ।६०५| तियोंका ( कर्मोका ) नाच करनेका १६२।६०६ | कथन ,.. # कक ऊर्ष्वलोकफे ऊपर सोक्षस्थानका खूप १६२।६०७ प्रार्थना ., ज म १६३।६१० | अ॑थकर्ताकी अ्रशस्ि ,, ग १६३।६११ |अतर्मगर ,.. नर + <+ 1 1 -- ध > इति विषयसूची हु ११ पृषं १६३।६१.२ १६३।६१३ १६४।६१४ १६५४६१६ १६५।६१४ १६५।६११ १६६।६२० १६६।६२१ १६५।६२५ १७१।६४१ १५७२६४४ १७२६ ४५७ प७३६४१७ १५७४। ६८८ १७५।६४९




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