पुन्य जीवन ज्योति | Punya Jivan Jyoti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
530
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ५ )
पक्त में विचार रखती रहती हैं । आपका विचार है कि सानव का
विकास उसके चरित्र पर आधारित है । इसके साथ ही साथ
अपने यह भी कहा कि मनुष्य को ऐसे कार्ये नहीं करने चाहिए
जो स्वयं की उन्नति तथा राष्ट्र के विकास मे बाधक हो । देश के
उत्थान के विप्रय में आपके विचार बड़े ही सरस तथा सुन्दर
हुः । आपने कटा कि “प्रत्येक सनुष्य को सन्तोष के सिद्धान्त का
पूर्णतया पालन करना चाहिए । अगर मनुष्य अपनी इच्छाए
बढ़ाता रहा और साधन इच्छाओं की गति के अनुसार नहीं वहे.
तो मानवीय विकास एक दुलेभ कार्य होगा । इन्हीं उद्गारों के
साथ आप सानव समाज को विकास के पथ की ओर अग्रसर
करने में लगी हुई हैं । वि
सज्ननध्री जी स. के विषयमे जितना लिखा जाय उतना ही
कम है 1 उनके वारे मे कलं मी लिखने मे; में तो अत्यन्त असमर्थ
हू, जो कुछ बन पड़ा है, वह उनके चरणों में सर्माधित है। यही
कामना है कि वे दीर्घायु हों और हम सबका कल्याण करती रहे ।
नेट दाना
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