मुहम्मद साहब का जीवन चरित्र | Muhmmad Sahab Ka Jivan Charitra

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Muhmmad Sahab Ka Jivan Charitra by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
९३ तुन छापने लिये शाप कमाशो । देखो खदीजा के ऊंट सासान लेकर सूरिया देश को जाते हैं श्र उस के पास ब्ोई प्रबस्ध- दातों नहीं हैं चो तुम उस के कार्रिन्दा हो कर जाश्नो । सुहम्हद्‌ जाने को राजी था सो शवुतालिव ने खदीजा से कह दिया कि तुम सुहस्मद को पना मबन्थकतों करके भेज दो और उस को मजदूरी के सिये चार ऊंट दिये जानें । खदीजा ने उत्तर दिया कि यदि श्राप किसी शन्यजाति वाले के लिये इतना मांगते ती में देती फिर कितना अधिक करके मुहम्मद के लिये जी छापनी जाती का है न करूंगी सो मुहस्मद्‌ प्रबन्थकतां हो दर वोखा शहर को गया इस लिये उसे फिर सौका सिला कि सूरिया के इसाइयों श्रौर्‌ उन की संडलियों को देखे। वह लेन देन के कास में सन नहीं लगाता था पर वह स्वभाव ही से होशियार शौर चतुर था इस लिये जब वह लौटा तब खदीजा को बहुत झुद्ध नफ़ा हुआ । लौटते समय खदीजा के एक नौकर ने सुहम्मद से कहा कि शाप खुद खदीजा के पास जाकर काम छुफल होने का संदेश दीजिये । खदीजा घ्पनी दासियों के सड् उत पर बेठी थी । शाज्ञा पाके सुहम्मद्‌ से लेन दुन के विषय में बताया । खदीजा उस के कास से बहुत खुश हुई शर वह मुहम्मद पर सोहित भी हो गदे। इस समय वह चालीस वर्ष की थी श्रौर उस को दो बार शादी हो गई थी । उस के एक बेटा भर दो बेटियां थीं वह धनवान झुन्दर शौर उच्चजाति की थी । बहुत लोग उस से शादी करने चाहते थे परन्तु वह विधवा को दृशा से प्रसन्न थी लेकिन जब उसने मुहस्मद की देखा तब ही. उस. का सन बदल गया. कुछ काल तक उस ने श्रपने मन को दुवाने चाहा पर न दबा सकी भंत में उसने मुहम्मद से बात करने के लिये श्पनी वद्धिन को भेजा उसने मुहम्मद से पूछा कि शाप शपनो शादी क्यों नहीं करते हैं ? उत्तर मिला कि मे खाली हाथ कीसे शादी करूं उसने कहा कि यदि कोई सन्द्र चच्चजाति की शरीर धनवान खी शाप से शादी करने चाहती




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now