दूध - चिकित्सा | Dudh Chikitsa

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Dudh Chikitsa by महेन्द्रनाथ पाण्डेय - Mahendranath Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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घिषय-प्रय | ५ ओर दृव तुलना फी जाती है । परन्तु अड प्रोदीन माफी प्रोटीन है यदि जररतसे अधिक सा ली जाय तो पचमेकि बाद पर्ची! हुई प्रोटीन सडती है, मवाद या पीप पैदा करती है। सड़ कर पिपयेदा फस्ती है, उपरी फिपके प्रभायसे रक्त अम्लता अधि हो'जाती है । दूध प्रोदीन यदि अधिफ सा की जाय तो चष राउती नहीं बल्कि दुग्धारल या लैक्टिक एसिडमे मदल जाती है । दुश्वाम्त स्यार यरो वढानेषाला है पायनशंक्तिकों सुधारने वाता खोर आरोग्य वद्र ह, प्राचीन काले भी अरडेके सम्बन्ध काफी सोजं हृं 4ी। यण्कमे अणडेका भी णुण बताया गया है' योर इतना ही लिखा गया है चह वीयं यद्रे । पीय व द होनेके कारा पिपयी लोग घुर ताते दै मौ उन्हीके भाई बन्द उनकी तारीफ करते है | यहाँ हम यह नरह कहना चाहते है कि अण्डा खानेवासि अस्डा न साये बलिक हम यहे कठना 'चाहते है कि ्रर्डेसे दष १0 (16 7101 0 शश्र ६09६ ५९०8७8१ 0 [ष्णम 15 एव [प 1४१७ 70१९५ 81४0 1४ 768* [1 0भ्र 0100५068 प्रण 0029, (046611४) 111 {06 1016811708 98 0९५६{98 00150118, प्र6६०1४96 1041618 ५० 10४ [9- 0108 116 }01300 काप ॥11# 91 (18 ९0 (वणक फ 18 0७ 00{92॥ 07०4००8 प [पवू 04064119 = 18} बाएं हु 71006118 00101 10 110 ४8119 021007¶ = 88 1100 ¶ [07015118 0617 0 {8 7101718 07 71०8७16 884 80089166 ~~ पाऽ शरा ए11116 70000 098५५ 299 ‰1




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