भल लूआं बाजो किती | Bhal Luan Bajo Kiti

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Bhal Luan Bajo Kiti by किरण नाहटा - Kiran Nahata

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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15 चोरी-डकती, हिंत्यावां अर बलात्कारा री जित्ती वारदातां कुदरत री सोवणी गौद में वस्योड़ा भं मैदानी अंचा मे हुवे अर मिनख रो जिसो कुत्सित अर कटूढो रूप वहे देखण ने मिलें, बीने देखतां तो मरुभोम रो मानखो घणो सावहै। वीर अन्तर रै फूटराप री अर वी र हिरदे री खदारता री कई बात, जकौ खुद विखो भोग'र भी टूजा रैं सुख री कामना चारे-- जिण दिस नर कंबाठिया, मतना कीज्यों वास । थाने मुरघर झेलसी, जी भर देवों तास ॥ कवि री आ बाणी आखे मरुभोम रं मानखे रं अन्तर रो उजास है इणी खातर छेकड कवि रँ सूरा मे सुर मिला र एकर भके कहस्यां-- जीवण दाता बादठधां, थां सू जीवण पाय । भल लूञआं वाजो किती, मुरधर सक्षी लाय ॥




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