गरजती गंगा | Garajati Ganga
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
194
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)माभ
पतवार से उदका भोला मामो हृच्छा गुड़णुड़ातें गुड़गुडाते प्चानक
रुक गया ।
इस्पात-सौ सुद्दद् दृड्डियाँ और सुतली जैसी मोटी नसे उसके शरीर की
गठन की विशेषतायें हैं । बंगाली भोपड़ो के पुराने छप्पर की शक्क के
उसके केश हैं । मूछें करारी हैं । खो से थोड़ा धुँघला दौखता है। इस
समय पश्चिम की ओर रखें गड़ा गड़ा कर; ज्ञात नहीं; कया देखने की
चेष्टा कर रहा है ।
'सोनिर्यो ! उसने पुकारा-- देख ! देख !
(क्या है बाबा £ कहती हई नाव के भीतर से बारह-चौदह साल की
एकं लड़की निकली । उसकी गति यौवन कौ ओरर प्रतीत होती है । रङ्ग
गङ्खाजी जेसा मय्याला होने पर भी चेहरे कौ बनावट ब्रहुत सुन्दर
है । उसकी बड़ी-बड़ी श्रयं ऊँची उड़ान लेती दिखाई देती हैं ।
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