अनुभूति के आलोक से | Anubhuti Ke Aalok Se
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
224
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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इस संदर्भ में एक तपोनिष्ठ आत्मशोधी की देनन्दिनी के ये पृष्ठ
साधको के लिये तथा जगत के लिये झ्रतीव उपयोगी होंगे ।
मुभे इस देनन्दिनी के लेखक मूनिप्रवर श्री शांत्तिलालजी को
निकट से देखने श्रौर सान्निध्य प्राप्त करने का सयोग प्राप्त हो चुका है ।
तपस्या उनकी वृत्ति है, सहिष्णृता उनका स्व-भाव है, निश्छल विनय-
णीलता व सजगता उनका श्राभूषण है श्रौर श्रडिग संकल्पशीलता
उनका व्यक्तित्व है। साधना के प्रत्येक चरण पर वे निष्ठावान हैं
तपस्या के प्रत्येक मोर्चे पर वे सजग श्र सावधान हैं । तन को शोधते
हुए, मन को तपते हुए, भ्रात्म-साक्षात्कार की ज्योति प्रज्जवलित कर
लेने का उनका उद्दाम संकल्प श्रतीव प्रेरक है । वे एक भ्रास्थापुष्ट जेन
सन्त तथा विवेकवान भ्रात्मान्वेषी ह । चरम सत्य के साक्षत्कार एवम्
उद्घाटन के लिये उन्होने जीवन को खपा डालने का जौवट पूणं संकल्प
घारण किया है । संकल्प श्रौर कुर्बानी के श्रनुरूप ही उपलब्धि के लिए
वे निरन्तर सावचेत हैं । . त्याग श्रौर तप में वे रंचमात्र भी कटौती नहीं
करते, साधनामय जीवन के किसी भी अ्रंश मे शिथिलता कौ शिकन
नहीं पड़ने देते, किन्तु चरम सत्य के साक्षात्कार से इतर वाले किसी भी
सौदे से वे रीभकने अथवा समभौता करने वाले नहीं हैं। यहीं उनका
सौन्दयं है । एक साधक कौ डायरी उसकी साघना श्र उसके अन्त:
करण का श्रक्स होनी चाहिये, उसकी नि्वेयक्तिकता का वाणी-चित्र
होनी चाहिए । इस दैनन्दिनी की भौ यही अर्थवत्ता है । इन विन्द्रो
को समक्न रखकर उन्होने श्रात्मावलोकन किया है । अत: यह किसी
व्यक्ति अथवा एक साधक की नहीं, वरन् सानवीय साधना ग्रौर उसको
अ्रडोल श्रास्था की डायरी है ।
यौवन के विस्फोट के पुर्वे ही उन्होंने प्रक्रज्या घारण कर ली श्रौर
ग्रडिग चुनौती के साथ श्रात्मशोध के मुख्य द्वार पर श्राज हैं । जीवन
की समग्र शक्तियों शऔर प्रवृत्तियों को आध्यात्मिक साघना को समिधा
बनाकर वे केवल झ्रात्मोद्वार की लिप्सा से नहीं, वरन् सम्पुणां मानव-
जाति के लिए कार्य कर रहे हैं । वे महत्ती श्रास्था, वेजोड़ कुर्बानी श्रौर
उद्धाम संकल्प के मू्तरूप है ।
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