एक प्लेट सैलाब | Ek Plet Sailab

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Ek Plet Sailab by मन्नू भण्डारी - Mannu Bhandari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नई नौकरी रै “क्य नही निभना? प्य रवा मेरे चम कानी है। कितना मिटटी फील करतों हूँ 1 बिना तैयार किये पढाना, लगता है जसे लड़कियों को चीट कर रही है । दो घण्टे का समय भी तो मुझे झपने लिए नहीं मिलता 1” वुस्दन सोच रहा था कि रात में रा के साथ दह एसनएक कमरे की श्रेज करने की योजता बनाएगा । कलर-ह्कीम के लिए उसने उरमन- निकलसन वालों से बात की थो । रसा की बाते सुनी तो चुप रह गया । ्नण्टी की रिपोर्ट देखी रे हमेसा फस्ट माया करता था, इस बार सेविन्व भागा है ।” बगल में लेटकर रमा को भपनी भोर सीचते हुए गुन्दन मैं बुत प्यार-भरे लहडे में बह्ा--“तो तुम उसे पढ़ाया करो 1“ “कय पढ़ाया करूं, तुम्ही चतामी ! शाम को पाँच से सात थे का जो समय मिलता है, उसमें बह सेलने जाता है 1 तो चुम्ही बतायी मैं बया करू 7” कानोौमेहाप फर दृष्‌ कन्द ने बहुत ही मुलायम स्वर में पूछा । “कत मुभे पेपर पदन दै । पर्दद दिन पहले डॉपिक मिल था । एक लाइन भी नहीं सिसीं है” म्व कीई गुढा बदराना ही तो बनाना पहेगा 1” बुन्दने को उगलियाँ बालों पर से उतरकर गासों पर फिससते सीं “दंग सात पूरे हुए'* छ , पाठ महीने मे पसथरनी थीसिस समसिट बेर इंती तो मेरा सियेक्यन-परेड में पाना निरिचत ही था, पर ऐसी लत रही शोर ` स्मरो पढ़ी 1 हर बहीं बुर्दन के बानों में हो० फिशर के रद गूंज रहें थे-जनवरी मे जरगनी से शाइरेइटर भाने षानेहै, हमे ण्डका सारा भाम दिवाना होगा । एक नया सदा विडनि की भो योजना है, उसके वि्‌ कुछ रिम पस्विदच सोगो की चर्य होगी सिर रदाई दंग मैं है दिसतेस में ह.




User Reviews

  • My Habits With Mayank

    at 2020-09-02 02:38:28
    Rated : 10 out of 10 stars.
    "Very nice"
    It's a very nice novel by mannu bhandari ji.
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