चन्दन की सौरभ | Chandan Ki Saurabh

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Chandan Ki Saurabh by जैन सिध्दान्ताचार्या - Jain Sidhdantacharyaसाध्वी चन्दनवाला - Sadhwi Chandanwala

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साध्वी चन्दनवाला - Sadhwi Chandanwala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न १९ - भोला नर ने भरमाया, स्यू कपट घरम प्रभु फरमाया । इस प्रकार चन्दन की सौरभ वी सभी रचनाएं जीवन के प्रत्येक क्षेत्र एव प्रत्येक पप् को समुझत वनाने की पुनीत प्रेरणा प्रदान वरती हूँ । काव्य के भाव पक्ष मौर कलापक दोनों हौ दृष्टियों से यह सप्रहू मुल्यवान है । राजस्थानी साहित्य के क्षेत्र में घन्दन की सौरम अपना विशिष्ट स्थान प्राप्त करेगी, ऐसी माशा है । मैं परम विदुषी महासती श्रो शीलकुवर जो कौ सुदिप्या महासती चन्दन- वाचाजीको हृदय से ध-यवाद दिये विना नही रह सक्ता जिन्ोने प्राचीन जन कवियों के चरिधो षा सुदर सकलन किया है । सक्लन मुदर दै, वालक से तेकर वद्धा तक पे लिए उपयोगी है । सम्पादन, आकलन अपने आप मँ एक कला है, आनेवाला युग प्रस्तुत सम्पादन का गौर महासतो च-दनवाला जी कौ प्राचीन चरियों के प्रति गहरी निष्ठा वा समादर क्रेगा। भाम्यतर सुदरता के साथ पूस्तक मी बाह्य सुन्दरता मौ चित्ताकपक है। में झाशा करता हूं महासती चदनवाला जी भविष्य में मौलिक साहित्य का निर्माण कर जन साहित्य कौ श्रौवृदि फर यशस्वी वने । जेन स्थानक रविवार पैठ -देवेद्रमुनि, शास्त्री नासिक सिटी, फरवरी १६६६ साहित्यरत्न




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