सिद्धराज | Siddharaj
श्रेणी : संदर्भ पुस्तक / Reference book
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
144
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री रामकिशोर गुप्त -shree ramkishor gupt
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रथस समे
किन्तु सतुष्यत्व मेरे पुत्र का ही भाग है ;
द्र अमरत्व मत रूप है नरत्व का +
ओर प्रयुता तो अघुरत्वमें सी होती है ।*
“जैसे न हो, थोड़े वही छाल ऐसी माई के ।
सेवा में रहे जो आपके-से सेवनीयो की ,
इष्या करने के योग्य उनका सुकृत है ।
आकपषण किन्तु जन्मसूसि का प्रबछ है ।
देदि, वह् बन्धन भी है सम्बन्ध सवका 1
किन्तु यह देश तो है ऐसा, जहाँ बज को
छोड के तुम्ारे सगवान थी पधारे थे !””
“देवि, वे हसारे ही नहीं थे, आपके भी थे ।
सानती हूँ यह भी मे, वाहर निकठके
ब्रज के गोपाल द्वारका के धनी होते है ।
होती घर बेठने से उन्नति नहीं कभी ;
दिद्व परिदार हे उदार इृत्तवालों का ;
रास को अयोध्या सदा राम के ही साथ है ।
तो भी देवि, सेवाएँ हमारी, जो नगण्य है ,
अर्पित उन्हीं के लिए हो चुकी हैं पूं ही ;
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